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पुलवामा के 4 सालः 40 शहीदों में से 12 यूपी के, आज किस हाल में हैं मां-बाप, पत्नी-बच्चे

जम्मू के पुलवामा जिले में 14 फरवरी 2019 का दिन तो आपको याद ही होगा। दोपहर के करीब साढ़े तीन बजे थे और धूप तेज थी। काफिले में ज्यादातर लोग अपनी-अपनी बात कर रहे थे- कुछ गुनगुना रहे थे, कुछ जोक्स सुना रहे थे और कुछ हंस रहे थे. लेकिन कुछ लोग जम्हाई ले रहे थे।

अगले छह दिनों तक तो हर दिन की कहानी एक अलग फौजी की होगी, लेकिन शुरुआत हम उन 2 घंटों की कहानी से करते हैं। आगे क्या होता है यह देखने के लिए प्रतीक्षा न करें, क्योंकि शहीद पहले ही स्वर्ग जा चुके हैं। 78 बसों ने 2500 बहादुर जवानों को अग्रिम पंक्ति में पहुँचाया। तभी एक बड़ी एसयूवी आई और उन्हें टक्कर मार दी, जिससे वे अलग हो गए। चीथड़े उड़ गए और भारत के अनेक सपूत मर गए। उन पर गोलियों की बारिश हुई और 40 जवानों की जान चली गई. अब हम उनमें से 12 की कहानी बता रहे हैं।

14 फरवरी को दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में फायरिंग हुई.

सीआरपीएफ का 78 बसों का काफिला जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले से होकर गुजर रहा था। इन बसों में सीआरपीएफ के 2500 जवान सफर कर रहे थे।

जवानों का काफिला एक तय रूट पर था और सड़क के दूसरी तरफ से आ रही एक एसयूवी ने जब उन्हें टक्कर मारी तो उसमें विस्फोट हो गया.

विस्फोट के बाद आतंकियों ने बस पर फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इन वीरों ने अपने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।

पुलवामा में सैन्य ठिकाने पर हुए हमले में कुल 40 जांबाज शहीद हुए। इनमें से 12 उत्तर प्रदेश के थे। हम उन्हें याद करते हैं और उन्हें नमन करते हैं।

14 फरवरी एक ऐसा दिन है जिसे पूरी दुनिया में वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है। उस दिन लोग अपने रिश्तों का जश्न मना रहे थे. लेकिन दुर्भाग्य से पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद वह दिन शोक के दिन में बदल गया।

पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले के बाद देशभर में कई लोग गुस्से में आ गए और जल्द से जल्द इस हमले का बदला लेना चाहते थे. इस व्याकुलता ने हमले के विरोध में रैलियों में सैकड़ों हजारों लोगों को सड़कों पर ले जाने के लिए प्रेरित किया। कई प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए।

हमले के दिन दिल्ली में राजनयिक और राजनीतिक हलकों में तापमान बहुत अधिक था। लुटियंस जोन में उस रात बहुत सारी बैठकें हो रही थीं। रात भर वाहनों के हूटर की आवाज सुनाई देती रही।

जिस जिले में जवान शहीद हुए हैं वहां की पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी अपने घर पहुंचने लगे हैं.

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