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महिला दिवस विशेष : रामायण का आधार सीता, श्रीमद्भागवत का आधार गीता – साध्वी लक्ष्मी दास

साध्वी लक्ष्मी दास : प्रकृति, शृष्टि, जननी, मां, देवी, शक्ति, लक्ष्मी, सरस्वती सभी के नाम मात्र से स्त्री का बोथ होता है। स्त्री एक बहन, बेटी, माता, पत्नी के रूप में यानि अपने हर स्वरूप में एक मनुष्य के जीवन में अति आवश्यक है, शक्ति / ऊर्जा के श्रोत का आधार एक स्त्री है।

एक अकेली स्त्री ही है आदि शक्ति

स्त्री से ही भगवती, दुर्गा, चंडी, काली, महाकाली, अन्नपूर्णा, स्कंदमाता, कात्यानी, कालरात्रि यह सारे स्वरूप हैं, स्त्री से ही सृष्टि का सृजन है, स्त्री है तो यह संसार है, लेकिन स्त्री नहीं है तो कुछ भी संभव नहीं है ।

स्त्री नहीं मानती खुद को आत्मनिर्भर

स्त्री को खुद का बोध भिन्न भिन्न परिस्थियों में ही हो पाता है, कारण सूक्ष्म है लेकिन जब तक स्थितियां – परिस्थियाँ विपरीत ना हो, स्त्री खुद को स्वतंत्र, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर नहीं मानती । यदि स्त्री स्वयं को आत्मनिर्भर मान ले तो स्थित कुछ विपरीत ही होगी और हमें कुछ पृथक दृश्य देखने को मिलेंगे। कारण; आज स्त्री खुद में स्वावलंबी है, स्वयं निर्भीक है और स्वयं अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है, सामान्यता सभी परिवारों में ऐसा है । लेकिन स्त्री ऐसा मानती नहीं है, उसने अपने जीवन का मूल आधार अपने पिता, अपने पति, अपने पुत्र और अन्य मनुष्यों में खोज रखा है ।

प्रसन्नता और कर्म का आधार है स्त्री

प्रसन्नता और कर्म का आधार सिर्फ और सिर्फ स्वयं स्त्री है, कारण कोई भी हो सकता है, कोई वस्तु, कोई जीव या कोई परिस्थियाँ । स्त्री हर कार्य करने में स्वयं सक्षम है, बिना किसी निर्भरता और सहारे के, उसका एक कारण है कि स्त्री सबसे बड़ी ऊर्जा का स्त्रोत है, स्त्री से जीव की उत्पत्ति है, स्त्री से जीव का सृजन है, स्त्री से जीव का पालन पोषण है, स्त्री से एक परिवार की रचना है, स्त्री हर व्यवस्था का आधार है और इसीलिये स्त्री ही पूजनीय है, हमारे शास्त्रों में, हमारे पुराणों में, हमारे वेदों में सदैव इस बात का वर्णन मिलेगा कि स्त्री जितना ज्ञानी कोई नहीं ।

शक्ति के बिना शिव, शव है

आदि शक्ति को अपनी आराध्या मानने वाले स्वयं भगवान शिव ने कहा है कि शक्ति के बिना शिव, शव है ! इसका अर्थ यह नहीं कि शक्ति नहीं तो शिव नहीं है बल्कि इसका अर्थ है कि शिव – शक्ति से ही है यानि ऊर्जा का मुख्य श्रोत आदि – अनादि काल से स्त्री या स्त्री का स्वरूप ही रहा है ।

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनायें…

एक स्त्री के दिन की शुरुआत से लेकर अंत तक और प्रतिदिन ही महिला दिवस होता है, क्यूंकि स्त्री का ही एक ऐसा स्वरूप है, जो आपको जन्म से लेकर मृत्यु तक आपके जीवन का आधार माना गया है ।

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