दंदरौआ धाम में हो रही पं प्रदीप मिश्रा की कथा, जेसीबी-मिक्सर की मदद से बन रहा भोजन प्रसादी
भिंड : दंदरौआ धाम में सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महा पुराण कथा चल रही है। यहां रोजाना दाे से तीन लाख लोग कथा सुनने जा रहे हैं। यहां का भंडारा चर्चा में है। यहां भोजन प्रसादी बनाने के लिए जेसीबी और मिक्सर का उपयोग किया जा रहा है।
रोजाना 100 क्विंटल मालपुआ, 50 क्विंटल आटे की पूड़ी, 190 क्विंटल आलू की सब्जी, 180 क्विंटल दूध की खीर तैयार की जा रही है। बताया जाता है कि कथा के आखिरी दिन शनिवार को भंडारे में यह मात्रा दो से तीन गुना हो जाएगी।
दंदरौआ धाम में गुरु महाराज महंत बाबा पुरुषोत्तमदास की पुण्य स्मृति में 27वें वार्षिक महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। कथा 28 नवंबर से शुरू होकर 2 दिसंबर तक चलेगी। कथा दोपहर एक बजे से शाम 4 बजे तक चल रही है। यज्ञाचार्य पं. रामस्वरूप शास्त्री सुबह 7 बजे से 10 बजे यज्ञ पूजन कर रहे हैं।
भंडार गृह की व्यवस्था संभाल रहे रूपा हलवाई ने बताया कि यहां एक बार में 20 हजार लोगों काे भोजन प्रसादी खिलाने की व्यवस्था है। यहां बड़े कढ़ाहे में एक बार में 20 क्विंटल सब्जी तैयार की जा रही है। इस कढ़ाहे से सब्जी निकालने के लिए जेसीबी का उपयोग किया जाता है। इससे पहले हाइजीन का भी ध्यान दिया जाता है। जेसीबी की धुलाई करके उसमें ग्रीस की जगह घी लगाया जाता है। जेसीबी बोकेट को घी से धोया जाता है।
मालपुआ के लिए लगाई गयी मिक्सर मशीन
मालपुआ बनाने के लिए सीमेंट कांक्रीट की मिक्सर मशीन लगाई गई है। मिक्सर मशीन में जनरेटर की जगह इलेक्ट्रॉनिक मशीन लगाई गई है। इसमें शक्कर, गुड़ और आटे का घोल तैयार किया जाता है। इसे बड़े भगोने में निकाला जाता है। हलवाई इससे मालपुए बनाते हैं।
40 भट्टियों पर 400 हलवाई कर रहे काम
भंडार गृह में 40 भट्टियों पर सुबह 4 बजे से रात 1 बजे तक भोजन प्रसादी बनती है। 400 हलवाई लगातार काम करते हैं। भोजन प्रसादी रखने के लिए 60 ट्रैक्टर-ट्रॉली भी लगाए गए हैं।
तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे
पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने शुक्रवार को तीन लाख से ज्यादा लोग पहुंचे। कार्यक्रम स्थल से चार किमी दूरी तक वाहनों को खड़ा कराया जा रहा है। वाहनों के लिए तीन पार्किंग स्थल हैं, जो पूरी तरह भर जाती हैं। वाहन रोड पर खड़े किए जा रहे हैं। वाहनों की लंबी कतार लग रही। इससे जगह-जगह जाम लग रहा है। पुलिस फोर्स को मशक्कत करनी पड़ रही है।