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MP: 55 साल की उम्र में एवरेस्ट फतह : ऐसा करने वाली देश की सबसे उम्रदराज महिला

कैंप 4 के नजदीक थे, तभी पता चला कि अगले 3 दिन मौसम बहुत खराब रहने वाला है। हमें 7,800 मीटर पर रुकना पड़ा। यह इलाका डेथटेंट जोन कहलाता है। यहां हालात बहुत खराब थे। बाहर नहीं निकल पाते थे। आंधी की वजह से बर्फ टेंट के अंदर आ रही थी। वह हमारे को ढक देती थी। ऐसे में हमें हर 3 घंटे सफाई करनी पड़ी थी। यहां पर करीब -20 डिग्री टैम्परेचर था। इस तरह से 3 दिन और 4 रातें काटी है।

यह कहना है 55 साल की उम्र में माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाली ज्योति रात्रे का। ज्योति ने एवरेस्ट की चढ़ाई से जुड़े अनुभवों को साझा किया। कहा- रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया था। यह बहुत कठिन समय था। आंधी की वजह से बर्फ अंदर आ रही थी। 3 दिन हमें गीले स्लीपिंग बैग में सोना पड़ा। हालत यह थे कि हम पानी पीने के लिए भी बर्फ नहीं ला पा रहे थे। जो अंदर आ रही थी, वही पी रहे थे।

19 मई की सुबह रखा चोटी पर कदम

55 साल की उम्र में भोपाल की महिला पर्वतारोही ज्योति रात्रे ने माउंट एवरेस्ट की 8848.86 मीटर की चोटी पर पहुंचने का कारनामा किया है। 8K एक्सपिडिशन के अनुसार वह दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने वाली सबसे उम्रदराज भारतीय महिला हैं।

पेम्बा शेरपा के अनुसार, भोपाल की रात्रे 19 मई को सुबह 6:30 बजे शिखर पर पहुंचीं। इससे पहले एल्ब्रस, किलिमंजारो, आइलैंड पीक और कोसियुज़्को सहित कई चोटियों पर चढ़ाई कर चुकी हैं। ज्योति रात्रे का कहना है कि मैं एक एक बिजनेस वूमन हूं। मेरे पति केके रात्रे मध्य प्रदेश विद्युत मंडल एचआर में जनरल मैनेजर हैं। मुझे दुनिया की सेवन समिट करनी हैं। सबसे पहला ट्रैक साल 2017 में मनाली में किया था, यहां जाकर ऐसा लगा कि मुझे पर्वतों पर जाते रहना चाहिए। वे हमें उनकी तरफ खींचते हैं।

आखिर के 28 घंटे कभी नहीं भूल सकती
ज्योति बताती हैं कि वह जब चोटी पर पहुंची तो लोग बहुत कुछ सोचते हैं मगर उस समय वह जीरो इमोशन थीं। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वहीं आखिरी 28 घंटे सोई नहीं। इस पूरे 28 घंटे मैं सिर्फ चलती रही। इस बीच माइनस 20 से लेकर माइनस 40 तक टेंप्रेचर का सामना किया। ये 28 घंटे हमेशा मुझे याद रहेंगे। ज्योति कहती हैं कि वापस आने के बाद मैंने देखा कि मेरी पैर की कुछ अंगुलियां गल चुकी हैं। जिसका ट्रीटमेंट अब तक चल रहा है।

शेरपा की तबीयत बिगड़ी तो मायूस हो गई

ज्योति कहती हैं कि मैने इसमें खास तौर पर 2 शेरपा रखे थे। इस बीच में मेरे हेड गाइड की जब तबीयत कैंप 2 पर बिगड़ी तब मुझे मायूसी हुई। ऑक्सीजन का लेवल काफी कम था उन्हें निमोनिया हो गया। तब थोड़ी मायूसी हुई। मगर दूसरे गाइड के आने के बाद मैंने दोबारा शुरुआत की और चढ़ाई शुरू की। इस दौरान मैं 18 किलो वेट लेकर चढ़ रही थी।

नहीं ली ट्रेनिंग, एक्स्ट्रा ऑक्सीजन ले गई

ज्योति ने बताया कि मैंने इससे पहले एवरेस्ट को लेकर बहुत पढ़ाई की। हालांकि मैंने एवरेस्ट की कोई एडवांस ट्रेनिंग नहीं ली। हां यह जरूर पता था कि वहां पर डेथ क्यों होती हैं, ऐसे हालातों में लापरवाही की वजह से ही लोगों की जान जाती है। इसमें मौसम तो वजह बनता है और साथ ही कम ऑक्सीजन भी खास वजह बनता है। इसलिए मैं वहां एक्स्ट्रा ऑक्सीजन लेकर गई थी।

प्रोटीन डाइट ने दिया साथ, मैगी, ओट्स और सत्तू खाया

ज्योति कहती हैं कि आम तौर पर ऐसे समय में लोग अधिक कार्बन डाइट लेना पसंद करते हैं, मगर मेरे साथ ऐसा नहीं था। मैंने इसके अलावा प्रोटीन डाइट भी ली। क्योंकि यह आपको ज्यादा देर तक खींचता है और साथ ही इसको पचाने के लिए शरीर अपने आपको गर्म रखता है। इस तकनीक से बहुत फायदा हुआ। इस दौरान मैंने प्रोटीन पाउडर के अलावा मैगी, ओट्स और सत्तू खाया। इस डाइट से मुझे बहुत बेहतर फील हुआ।

पिछले बार की तुलना में वेस्ट मैनेजमेंट बेहतर

ज्योति ने साल भर पहले भी एवरेस्ट की चढाई की थी। ज्योति ने प्लास्टिक कचरा और वेस्ट के बारे में बताया कि पिछले बार की तुलना में इस बार स्थितियां बेहतर हैं। इस बार कचरा करीब 50 प्रतिशत कम था। मैं देख रही थी कि इस बार वेस्ट मैनेजमेंट बेहतर है। पिछली बार तो हमें खुद पहुंचने पर अफसोस हो रहा था कि इस तरह अगर यहां कचरा होता है तो हमें नहीं आना चाहिए।

ज्योति ने बताया 23 मई 2023 में मैंने एवरेस्ट की चढ़ाई की। 8200 मीटर तक पहुंच गई। तभी मौसम खराब हो गया। हमें वाइट आउट का सामना करना पड़ा। विजिबिलिटी पूरी तरह से जीरो थी। 60 से 80 किलो मीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलने लगी। मेरे गाइड शेरपा ने आगे जाने से इनकार कर दिया था। जिसके चलते मुझे लौटना पड़ा।

अब अमेरिका का दिनाली और चिली का विलसन

ज्योति ने बताया कि अब मुझे अमेरिका का दिनाली और चिली का विलसन कवर करना है। हालांकि इसमें खर्चा बहुत होता है अगर गवर्नमेंट मुझे स्पॉसर करे तो आगे सोचूंगी। बता दें कि एवरेस्ट फतेह करने में ज्याेति को करीब 40 से 50 लाख का खर्चा आया है।

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