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कौन बनेगा शिवराज का उत्तराधिकारी : केंद्रीय मंत्री बने शिवराज सिंह चौहान,अब बुधनी से कौन

एमपी के पूर्व सीएम और विदिशा सांसद शिवराज सिंह चौहान मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बन चुके हैं। वे बुधनी विधानसभा सीट से विधायक भी हैं। ऐसे में उन्हें अब विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ेगा।

अब सवाल खड़ा हुआ है कि बुधनी सीट से कौन प्रतिनिधित्व करेगा? क्या शिवराज के बड़े बेटे कार्तिकेय उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे या फिर परिवारवाद के आरोप से बचने के लिए पार्टी किसी और को मौका देगी।

बुधनी सीट से दावेदारों की बात करें तो कार्तिकेय के बाद सबसे बड़ा दावा पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव का दिखता है। इसके अलावा 4और नाम है जिन्हें उपचुनाव का टिकट मिल सकता है। हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि पार्टी बुधनी से टिकट देते समय शिवराज की पसंद का पूरा

अब जानिए कार्तिकेय का दावा मजबूत क्यों…

पिछले 10 साल से बुधनी सीट पर प्रचार की कमान शिवराज के बड़े बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान ही संभालते आ रहे हैं। 2013 में शिवराज ने बुधनी और विदिशा दो सीटों से चुनाव लड़ा था। ऐसा हार के डर की वजह से नहीं बल्कि विदिशा में उस वक्त एक से ज्यादा टिकट के दावेदार थे।

टिकट के दावेदारों के बीच मचे घमासान को रोकने के लिए तत्कालीन सांसद सुषमा स्वराज ने शिवराज को विदिशा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था। दरअसल, 2013 में केंद्र में यूपीए की सरकार थी और सुषमा स्वराज लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं।

उस वक्त सुषमा स्‍वराज समेत कई भाजपा नेताओं को लग रहा था कि विदिशा के किसी भी स्‍थानीय नेता को टिकट दिया तो बवाल मचेगा। यदि भाजपा हार गई तो गलत संदेश जा सकता है] इसलिए सुषमा स्वराज ने खुद पहल की और शिवराज को चुनाव लड़ने के लिए राजी किया।

शिवराज ने बुधनी की कमान बेटे कार्तिकेय और पत्नी साधना सिंह को सौंपी और उन्होंने खुद विदिशा समेत प्रदेश की बाकी सीटों पर प्रचार का जिम्मा संभाला। शिवराज ने भारी मतों के अंतर से दोनों सीटों पर चुनाव जीता। बाद में उन्होंने विदिशा सीट से इस्तीफा दिया, जहां से कल्याण सिंह ठाकुर चुनाव जीते।

शिवराज के बेटे कार्तिकेय ने पहली बार ही पिता के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। इसके बाद कार्तिकेय ने 2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में भी अपने पिता के लिए प्रचार किया। 2023 के चुनाव में तो शिवराज ने बुधनी से केवल नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने इस सीट को छोड़कर पूरे प्रदेश में प्रचार किया।

बुधनी में शिवराज सिंह चौहान की को बड़ी जीत मिली। कार्तिकेय राजनीति में सक्रिय हैं। युवाओं की एक टीम उनके प्रति समर्पित है। कार्तिकेय को टिकट मिलने की राह में केवल एक ही मुश्किल है कि पार्टी पर परिवारवाद के आरोप लगने शुरू हो जाएंगे।

हालांकि, रतलाम लोकसभा में पार्टी नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता को टिकट देकर इस धारणा को तोड़ चुकी है। नागर सिंह चौहान एमपी में वन मंत्री हैं। वहीं, उनकी पत्नी अनीता नागर अब सांसद हैं। किरार-धाकड़ वोटरों को साधने के लिए पार्टी यहां कार्तिकेय को भी मौका दे सकती है।

हालांकि, कार्तिकेय खुद कह चुके हैं कि पार्टी बुधनी से किसी सामान्य कार्यकर्ता को भी टिकट देगी तो वो उसके लिए प्रचार करेंगे।

शिवराज के बेटे कार्तिकेय ने पिता के केंद्रीय मंत्री की शपथ लेने से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ये तस्वीर पोस्ट की।

बुधनी से सबसे बड़ा दावा रमाकांत भार्गव का

विदिशा के पूर्व सांसद रमाकांत भार्गव का टिकट काटकर शिवराज सिंह को यहां से प्रत्याशी बनाया गया था। वे शिवराज सिंह चौहान के करीबी लोगों में भी शामिल हैं। चुनाव प्रचार के दौरान भी वे पूरे समय शिवराज सिंह के साथ नजर आए। रमाकांत भार्गव काफी वरिष्ठ हैं।

राजनीति के जानकार कहते हैं कि खुद शिवराज सिंह चाहेंगे कि रमाकांत भार्गव को बुधनी से उपचुनाव लड़ें। दरअसल, रमाकांत भार्गव की उम्र 70 वर्ष से अधिक हो चुकी है। वे अधिकतम चार से पांच साल ही सक्रिय राजनीति में रह पाएंगे। ऐसे में कार्तिकेय के लिए फिर मौका बन सकेगा और शिवराज सहित पार्टी परिवारवाद के आरोप से भी बच जाएगी।

वरिष्ठ पत्रकार अरुण दीक्षित कहते हैं कि बीजेपी परिवारवाद के आरोपों से बचने की कोशिश में हो सकता है कि कार्तिकेय को टिकट न दे, लेकिन अभी जो तैयारी है, उसके अनुसार शिवराज के बड़े बेटे ने दावा ठोंक दिया है। खुद शिवराज की भी कोशिश होगी कि उनके बाद उनके बेटे को मौका मिले। हालांकि, पार्टी से कई दूसरे लोग भी टिकट की चाहत रखते हैं। क्योंकि यहां से बीजेपी के टिकट पर जीतना सबसे आसान है।

बुधनी विधानसभा सीट से इन 4 नेताओं के नामों की भी चर्चा

महेश उपाध्याय: सलकनपुर मंदिर ट्रस्ट के 16 साल से अध्यक्ष।

वजह: शिवराज के करीबी मित्रों में से हैं। धार्मिक पहचान होने से पार्टी उन पर दांव लगा सकती है।

रवि मालवीय: सीहोर भाजपा के जिलाध्यक्ष हैं।​​

​​​​​वजह: शिवराज सिंह चौहान के भरोसेमंद हैं। शिवराज को उनके नाम पर भी कोई आपत्ति नहीं होगी।

रघुनाथ भाटी: सीहोर के पूर्व जिलाध्यक्ष हैं।​

​​​​​​वजह: बुधनी में मालवीय वर्ग बड़ा वोट बैंक हैं। रघुनाथ भी पूर्व सीएम शिवराज के खास लोगों में गिने जाते हैं।

गुरु प्रसाद शर्मा: नसरुल्लागंज के रहने वाले, वन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं।

वजह: शिवराज के करीबी लोगों में शामिल हैं।

बुधनी से शिवराज को रिकॉर्ड वोट मिलते रहे हैं

बुधनी विधानसभा में शिवराज की कितनी पकड़ है, वो वहां के चुनाव परिणाम से भी लगाया जा सकता है। छह महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में शिवराज ने बुधनी से 1 लाख 64 हजार 951 वोट से जीत दर्ज की थी। वहीं, कांग्रेस के विक्रम मस्ताल को 59 हजार 977 वोट मिले थे। जबकि लोकसभा चुनाव में इसी सीट पर सबसे अधिक वोट शिवराज को मिले। उन्हें इस सीट पर इस बार 1 लाख 82 हजार 989 वोट मिले। जबकि कांग्रेस को यहां सिर्फ 37 हजार 190 वोट ही मिले। मतलब छह महीने में शिवराज सिंह को इस सीट पर 18 हजार वोट बढ़ गए और कांग्रेस के करीब 22 हजार वोट घट गए।

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