Monsoon Alert : मानसून में पत्तेदार सब्जियां खाने से बचें, हो सकते है बीमारियों का शिकार
किसी भी मौसम के बदलने का सीधा सा मतलब है कि तापमान में तेजी से बदलाव आएगा। मौसम के साथ हमारे शरीर को भी बदलाव की जरूरत होती है। लेकिन शरीर को जलवायु के अनुकूल ढलने में समय लगता है।
यानी हमारी बॉडी अपने थर्मोडायनामिक्स को मौसम की तरह तेजी से नहीं बदल पाती है। यही वजह है कि बदलते मौसम में बैक्टीरिया या वायरस से पनपने वाली बीमारियां होने का खतरा रहता है। बारिश के मौसम में यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि बारिश का पानी और नमी बैक्टीरिया के लिए अनुकूल होते हैं।
ऐसे में बीमारियों से लड़ने के लिए इम्यूनिटी का स्ट्रॉन्ग रहना बेहद जरूरी है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका हमारी लाइफस्टाइल और खानपान की है। इसलिए बारिश के मौसम में डाइट का खास ध्यान रखने की जरूरत है। कई ऐसी सब्जियां हैं, जो बारिश के मौसम में आपकी सेहत बिगड़ सकती है। दरअसल सब्जियों में नमी की वजह से बैक्टीरिया और परजीवी आसानी से पनप सकते हैं। इसलिए बारिश के मौसम में सब्जियों का चुनाव करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
बारिश का मौसम शुरू होते ही खाने-पीने की चीजों में क्या बदलाव करना चाहिए?
बारिश का मौसम में संक्रामक बीमारियां का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि तापमान में गिरावट, वातावरण में नमी की वजह से मेटाबॉलिज्म स्लो हो जाता है। जिससे इम्यूनिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस मौसम में सीजनल सब्जियां ही खानी चाहिए क्योंकि यह मौसम के मुताबिक शरीर के लिए अनुकूल होती हैं। गर्मियों या सर्दियों के समय उगने वाली सब्जियों को बारिश के समय खाने से परहेज करना चाहिए।
बारिश के मौसम में हरी-पत्तेदार सब्जियां क्यों नहीं खानी चाहिए?
हरी-पत्तेदार सब्जियां न्यूट्रिएंट्स से भरपूर होती हैं, जो शरीर को फिट रखने के लिए जरूरी पोषण देती हैं। लेकिन बारिश के मौसम में इनसे परहेज करना ही बेहतर है। दरअसल इस मौसम में कीट-पतंगों और बैक्टीरिया की प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है।
साथ ही बारिश की वजह से पत्तेदार सब्जियों को कई दिन तक धूप देखने को नहीं मिलती है। तेज धूप और गर्मी के कारण पत्तों पर बैक्टीरिया नहीं पनपते हैं। लेकिन बरसात के मौसम में धूप की कमी और हवा में नमी की वजह से पत्तियों के बैक्टीरिया से इन्फेक्टेड होने की आशंका ज्यादा रहती है।
ये बैक्टीरिया इतने छोटे होते हैं कि आंखों से दिखाई नहीं देते। ऐसे में पत्तेदार सब्जियों को अच्छे से न धोने पर कम्युनिकेबल डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
बारिश के समय रूट वेजिटेबल्स क्यों नहीं खानी चाहिए?
मूली, गाजर या शलजम जैसी सब्जियां जमीन के अंदर उगाई जाती हैं। इसलिए इनके मिट्टी में मौजूद जीवाणुओं से दूषित होने का खतरा होता है। बारिश के मौसम में यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि बारिश से जमीन में नमी अधिक हो जाती है। बारिश में बैक्टीरिया ज्यादा पनपते हैं, जिससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं। इसके लक्षण दस्त, उल्टी और पेट दर्द के रूप में सामने आते हैं।
बरसात के मौसम में बैंगन क्यों नहीं खाना चाहिए?
बैंगनी रसायनिक यौगिकों का एक समूह होता है, जिसे एल्कलॉइड कहा जाता है। ये टॉक्सिक केमिकल होते हैं, जो बैंगन जैसी सभी सब्जियां खुद को कीड़ों और कीटों से बचाने के लिए विकसित करती हैं। मानसून के मौसम में कीड़ों का प्रकोप अधिक होता है। ऐसे में बैंगन में फंगल होने का खतरा रहता है। इस मौसम में बैंगन का सेवन करने से स्किन एलर्जी होने का खतरा हो सकता है। यानी स्किन पर पित्ती, खुजली, या चकत्ते हो सकते हैं।
बारिश के मौसम में कौन सब्जियां खानी चाहिए?
बारिश के मौसम में जल जनित बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए अपनी डाइट में एंटीऑक्सीडेंट्स, मिनरल्स, विटामिन्स और फाइबर से भरपूर सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
इसके लिए करेला, परवल जैसी सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं क्योंकि करेला में मौजूद विटामिन C इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। साथ ही पाचन तंत्र में सुधार कर पेट से जुुड़ी कई समस्याओं से भी निजात दिलाता है।
वहीं परवल एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। यह इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग करने के साथ बैक्टीरियल इन्फेक्शन से भी बचाता है।
मानसून के दौरान खाना बनाते समय किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए?
- इस मौसम में कच्ची सब्जियां खाने से बचना चाहिए क्योंकि इसमें बैक्टीरिया हो सकते हैं। खीरा, ककड़ी का सलाद भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें आंखों से न दिखने वाले बरसाती बैक्टीरिया हो सकते हैं।
- खाना बनाने से पहले सब्जियों को गर्म पानी में थोड़ा सा नमक डालकर 10-15 मिनट के लिए भिगो दें। इससे सब्जियों पर मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाएंगे। इसके बाद साफ पानी से एक बार फिर धोकर ही पकाएं ।
- फंगल के खतरे से बचने के लिए सब्जियों को साफ व सूखी जगह पर स्टोर करें।
- चाकू, कटिंग बोर्ड और अन्य बर्तनों को ठीक से साफ करें। उसके बाद ही खाना बनाने में इनका इस्तेमाल करें।