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Bangladesh : होम अफेयर्स एडवाइजर हुसैन बोले- दखल न दे भारत टूट सकती है दोस्ती, मदद दें या फिर हमें अकेला छोड़ दें

Bangladesh : ‘प्लीज, बांग्लादेश में जो हुआ, उसे गलत तरीके से मत समझिए, न ही उसे जरूरत से ज्यादा समझने की कोशिश कीजिए। उसे अकेला छोड़ दीजिए। अपनी जमीन का इस्तेमाल बांग्लादेश में दखल के लिए न होने दें।’

‘अगर आपने ऐसा होने दिया तो आप एक मित्र देश खो देंगे। ये आपके लिए अच्छा नहीं होगा, न ही इस रीजन में आप अपनी जो स्थिति बनाना चाहते हैं, उसके लिए सही रहेगा। ये आपकी अर्थव्यवस्था से जुड़ी महत्वाकांक्षाओं के लिए भी ठीक नहीं होगा।’

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ये एम. सखावत हुसैन हैं। ( Bangladesh )बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में होम अफेयर्स एडवाइजर हैं। फिलहाल इनकी हैसियत गृह मंत्री के बराबर है। एम. सखावत हुसैन सेना में रहे और ब्रिगेडियर जनरल के पद से रिटायर हुए। देश के इलेक्शन कमिश्नर भी रहे हैं। patrakaron बांग्लादेश के हालात पर उनसे बातचीत की। उनसे पूछा कि भारत के लिए आपका क्या मैसेज है, उन्होंने साफ कहा कि बस हमारे मामलों में दखल न दे।

Bangladesh : बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर क्या कहेंगे?

देश में बहुत असामान्य स्थिति थी। एक पार्टी थी, जो बिल्कुल किसी फासिस्ट पार्टी की तरह बिहेव कर रही थी। उन्होंने हर चीज पर कब्जा कर लिया था। फिर वही हुआ, तो इस तरह की फासिस्ट पार्टी के खत्म होने पर होता है। देश में अराजक स्थिति बन गई। देश में स्टूडेंट्स ने जो क्रांति की है, वो भी बहुत यूनीक है। इसमें राजनीतिक पार्टियों का कोई हाथ नहीं है।

सब कुछ बहुत छोटे से शुरू हुआ था। सरकार ने इसे खत्म करने के लिए पूरी ताकत लगा दी। ज्यादा से ज्यादा फोर्स का इस्तेमाल किया। उनके पास हथियार थे। फोर्स पार्टी लाइन पर काम कर रही थी। पार्टी लाइन पर ही उनकी भर्ती हुई थी। वे सब किलर मशीन बन गए थे। निहत्थे छात्रों से निपटने के लिए उनका इस्तेमाल किया गया। इसी से सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़का।

चुनाव के बाद से ही सरकार ने पॉपुलैरिटी खो दी थी। ऐसा 2014 से लेकर अभी जनवरी 2024 में हुए इलेक्शन की वजह से हुआ। इलेक्शन कमीशन और ज्यूडिशियरी सरकार की एजेंसी की तरह काम कर रहे थे।

क्या ये बांग्लादेश 2.0 की शुरुआत है?

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हां, बिल्कुल। छात्रों को लगा कि सरकार फासिस्ट और पूरी तरह तानाशाह हो गई है। लोग मुश्किल से ही बोल पाते थे। बहुत घुटन भरा माहौल था। करप्शन था, पार्लियामेंट काम नहीं कर रही थी। मंत्री साइकोसफेंट्स की तरह बात कर रहे थे। इन्हीं सबसे एक देश पतन की ओर जाता है। इसलिए कह सकते हैं कि ये बांग्लादेश 2.0 है।

Bangladesh: आप देश में लॉ एंड ऑर्डर के लिए जिम्मेदार हैं। अब तक क्या-क्या कदम उठाए हैं?

सबसे पहले तो हमने लॉ एंड ऑर्डर सिचुएशन को बहाल किया है। पुलिस भी लोगों पर ताकत के इस्तेमाल में शामिल थी। उन्हें सोसाइटी की बेहतरी में लगाया है क्योंकि आप पुलिस जैसी बड़ी फोर्स को रिप्लेस नहीं कर सकते।

 IG ने कहा कि हिंसा में 40 से ज्यादा पुलिसवालों की मौत हुई है। क्या आप इन केस की जांच कराएंगे?

सिर्फ पुलिसवालों की मौत नहीं हुई है। ऐसे बहुत केस हैं। 400- 500 लोग मरे हैं, मुझे इसका सही-सही नंबर नहीं पता। क्या सभी की जांच नहीं होनी चाहिए, क्या ये इंटरनेशनल क्राइम नहीं है।

ये सच है कि पुलिसवालों को बेरहमी से मारा गया, लेकिन ऐसा स्टूडेंट्स ने नहीं किया है। कौन दोषी है, ये अलग मसला है। मुझे लगता है कि हमें सभी मामलों की जांच करनी चाहिए। हमें यूनाइटेड नेशंस से कहना चाहिए कि वे जांच में मदद करे। जो भी लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें इंटरनेशनल कोर्ट में लाना चाहिए। नहीं तो मुझे डर है कि 10-20 साल बाद दोबारा ऐसा हो सकता है।

माइनॉरिटी, खासतौर से हिंदू, क्रिश्चियन और बौद्ध को हिंसा में टारगेट किया गया। आपने उनकी सिक्योरिटी के लिए क्या किया है?

Bangladesh : मैंने आज ही माइनॉरिटीज ग्रुप से बात की है। वे ये बात समझते हैं सिर्फ कुछ घटनाएं हैं, लेकिन कोई बड़ा इश्यू नहीं है। मैंने उनसे कहा है कि ये मेरा फेलियर है। मैंने उनसे माफी भी मांगी है। अगर कोई उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।

बांग्लादेश में ये सवाल कभी नहीं रहा। कुछ लोग आरोप लगाते हैं, लेकिन ये याद रखना चाहिए कि ऐसी घटनाएं पर्सनल लेवल पर भी हो सकती हैं। पूरी सोसाइटी इस तरह की हिंसा में शामिल नहीं रहती। मैं तो ये भी कहता हूं कि मदरसों से लोग आए और घरों-मंदिरों के आसपास सुरक्षा में लगे रहे।

Bangladesh: ऐसी रिपोर्ट्स आ रही हैं कि कुछ लोग भारत जाने के लिए बॉर्डर क्रॉस करने की कोशिश कर रहे हैं?

 बॉर्डर गॉर्ड्स ने इस बारे में मुझे बताया है। उन्होंने कहा कि ऐसा एक इंसिडेंट हुआ है, जब लोगों को लौटा दिया गया। इसके अलावा ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। नॉर्दर्न एरिया में कुछ मूवमेंट है। लोगों ने बॉर्डर क्रॉस करने की कोशिश की है। BSF और बांग्लादेश गार्ड ने इसे संभाल लिया है।

Bangladesh पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए आपका क्या मैसेज है, उनका कहना है कि अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप दे देते, तो उनकी सरकार बच जाती?

किसी के लिए मेरा कोई मैसेज नहीं है। हालांकि, उनकी बात बहुत हास्यास्पद है। Bangladesh : सेंट मार्टिन आईलैंड एक बड़ा एंटीना लगाने लायक भी नहीं है। ये आइलैंड सिर्फ तीन किमी का है। इसकी लोकेशन भी स्ट्रैटेजिकली बहुत अहम नहीं है। वेस्ट में इससे कहीं बड़े आइलैंड हैं।

मुझे लगता है कि ऐसा बोलकर वे लोगों को भटका रही हैं, क्योंकि उन्हें इस तरह की चीजों का पता नहीं होता। सेंट मार्टिन इतना छोटा है कि बांग्लादेश के लिए नेवल स्टेशन भी नहीं बना सकते। आप वहां जाएंगे तो आपको खुद पता चलेगा। ये सिर्फ और सिर्फ उनकी फैंटेसी है और कुछ नहीं। मैं इस पर सिर्फ हंस सकता हूं।

शेख हसीना भारत में हैं। आप भारत सरकार या भारतीय प्रधानमंत्री से क्या कहना चाहते हैं?

 इस बारे में उनसे कुछ नहीं कहना चाहता। वे बड़े पॉलिटिशियन हैं। दुनियाभर में जाने जाते हैं। भारत बड़ा देश है। बड़ी ताकत बनने की कोशिश कर रहा है। उसे समझना चाहिए कि अगर वो बांग्लादेश के मसलों में ऐसे दखल देने की कोशिश करता है तो ये भारत के लिए भी अच्छी स्थिति नहीं होगी। भारत खुद भी अपने पूरब में परेशानियों से घिरा है। रिश्ता लोगों का लोगों से होना चाहिए।

मैं नहीं चाहता था कि वो शख्स (हसीना) वहां (भारत में) हो, जबकि सब जानते हैं कि उसने मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं। मुझे लगता है कि भारत सरकार इतनी नादान तो नहीं होगी कि ऐसा कुछ करेगी, जैसा करने के लिए कुछ लोग उन्हें उकसा रहे होंगे।

21वीं सदी में वैसे भी किसी और देश के मामलों में बाहर से बैठकर दखल देना आसान नहीं रह गया है। बांग्लादेश को अकेला छोड़ दें। पड़ोसी होने के नाते हम आपकी मदद चाहते हैं, लेकिन हमारे मामलों में दखल न दें।

वे (शेख हसीना) इस वक्त सबसे अनपॉपुलर लीडर हैं। न सिर्फ साउथ एशिया में, बल्कि पूरी दुनिया में। आप अपने यहां उनके रुकने पर कुछ भी करें, लेकिन बांग्लादेश के लोगों के साथ रहें, यहां जो हुआ, उसका सम्मान करें।

मैं कहना चाहता हूं कि ये यहीं हुआ है। इसके पीछे कोई और देश, इंटेलिजेंस या पैसा नहीं है। आप सड़कों पर जाइए और देखिए कि बच्चे अपने पैसों से पेंटिंग कर रहे हैं। सड़कों की सफाई कर रहे हैं। ट्रैफिक मैनेज कर रहे हैं। क्या ये आपने किसी और देश में देखा है। ये कुछ नया है। उन पर आरोप लगाना कि उन्होंने किसी के कहने पर ये सब किया, पैसों के लिए किया, ये सही नहीं है।

भारत अपनी डेमोक्रेटिक इमेज डैमेज कर रहा है। पड़ोसी से रिश्ते खराब कर रहा है। मुझे लगता है कि पहले ही भारत के पड़ोसियों से रिश्ते अच्छे नहीं है। ये भी भारत को नुकसान ही पहुंचाएगा।

5 अगस्त को जो हुआ, उसके बाद अवामी लीग के नेता और सपोर्टर डरे हुए हैं, उन पर हमले हुए हैं। उनकी सिक्योरिटी के लिए क्या आर्मी अफसरों से कुछ कहा है?

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नहीं, ऐसा कुछ नहीं कहा। मुझे कैसे पता चलेगा कि कोई छिपा हुआ है। कोई भाग गया है।

आपका उनके लिए मैसेज क्या है?

सच कहूं तो मेरा कोई मैसेज नहीं है। वे मैच्योर हैं, अपना रास्ता तलाश सकते हैं।

BNP और दूसरी पार्टियां चुनाव कराने की मांग कर रही हैं। चुनाव कब तक होंगे?

मुझे नहीं पता। जैसा मैंने कहा कि सिस्टम खत्म हो गया है। इंस्टीट्यूट खत्म हो रहे हैं। इन्हें बहाल करना बड़ा टास्क है। लॉ-इन्फोर्समेंट एजेंसियों का भरोसा वापस लाना है। उन्हें भी पता है कि ऐसा क्यों हुआ क्योंकि वे एक व्यक्ति की सेवा कर रहे थे।

ये कहना मुश्किल है ये कितना टाइम लेगा। मेरे पास कोई प्लान नहीं है। हम इस पर बात करेंगे। बेसिक बदलाव लाए बिना चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं है।

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5-6 दिनों से पुलिस नहीं है। ऐसे में लॉ एंड ऑर्डर कैसे मैनेज हो रहा है?

आपने देखा होगा कि आज से पुलिस लौट आई है। मैंने उनसे 4 घंटे बात की। उनकी कई मांगें थीं। उन्होंने कहा कि हमने वर्दी पहनकर जो किया है, उस पर शर्मिंदगी हो रही है। इसे तुरंत बदल देना चाहिए। इसलिए हम उनकी यूनिफॉर्म बदलने के बारे में प्लान कर रहे हैं। हम पुलिस के टोटल रिफॉर्म का प्लान कर रहे हैं। वे भी यही चाहते हैं कि पुलिस आगे भी किसी पार्टी के लिए काम न करे।

एक अफसर मेरे सामने बच्चों की तरह रोने लगा। उसने मुझसे कहा कि मैं इस यूनिफॉर्म में बाहर नहीं निकलना चाहता। मैं सिर्फ बनियान में निकलना पसंद करूंगा। मैंने मजाक में कहा कि आप सिंघम बनना चाहते हो, तो मैं भी आपको सिंघम बनाऊंगा। अब मुझे भरोसा है कि पुलिस स्टेशन काम कर रहे हैं। पैरा मिलिट्री फोर्स और मिलिट्री फोर्स उनके साथ होगी, जिससे भीड़ उन पर अटैक न करे।

 हसीना को अगर वापस लाया जाता है तो क्या उनसे संबंधित केस की फाइलें ओपन होंगी?

हां, बिल्कुल ऐसा ही होगा। 57 ऑफिसर्स के कत्ल की जांच होगी। वे BSF में थे, जिसे पहले BDR कहा जाता था। किसी को नहीं पता वहां क्या हुआ था। कोई जांच नहीं हुई। जिन अफसरों ने जांच की मांग की, उन्हें फोर्स से बाहर कर दिया गया। उनके दोस्तों-बैचमेट्स का कहना है कि उनका मर्डर कर दिया गया।

इसके अलावा एक जर्नलिस्ट की हत्या का केस भी है। इस केस को 15 साल हो गए, लेकिन अब तक कुछ सामने नहीं आया।

ऐसा सामने आया कि बांग्लादेश आर्मी ने ही हसीना को भागने दिया। आपकी अंतरिम सरकार के बारे में भी कहा जा रहा है कि ये आर्मी की सरकार है। आप खुद आर्मी में रहे हैं। आप इस बारे में क्या कहेंगे?

Bangladesh : ऐसा नहीं कह सकते कि आर्मी नहीं है। आर्मी ने मदद की है, लेकिन आप देखिए कि सरकार में उन्होंने कोई पोस्ट नहीं ली। उन्होंने मार्शल लॉ भी नहीं लगाया। उन्होंने देश के हालात सुधारने में मदद की। अभी आर्मी चीफ ने कहा कि जैसे ही पुलिस और अन्य एजेंसियां फिर से स्थिति संभालने में सक्षम हो जाएंगी, आर्मी पीछे हट जाएगी।

आप ही बताइए कि किसी भी डेमोक्रेटिक देश की सेना अगर लोकतंत्र का समर्थन नहीं करेगी तो क्या वहां सरकार ठीक से चल सकती है। इसे आप तख्तापलट की तरह मत समझिए, यहां तो सरकार खुद ही कोलैप्स हो गई थी। उनकी पूरी पार्टी ही भीतर से बर्बाद हो चुकी थी। मैंने और कई लोगों ने ये कई बार सार्वजनिक रूप से कहा भी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।

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