Supreme Court ने दिया आदेश, देशभर में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के फुटेज केआधार पर होगी चालानी कार्रवाई
सड़क सुरक्षा को लेकर Supreme Court ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। Supreme Court ने सभी राज्य सरकारों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से फुटेज के आधार पर चालान जारी करके केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के नियम 167ए(ए) का अनुपालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया। इसके लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को नियम बनाने के लिये भी कहा है।
क्या है मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 136ए
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 136ए के तहत राज्य सरकारों को राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और शहरी क्षेत्रों में सड़क सुरक्षा की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी और प्रवर्तन सुनिश्चित करना अनिवार्य है।
इसमें स्पीड कैमरा, क्लोज-सर्किट टेलीविजन कैमरा, स्पीड गन, बॉडी वियरेबल कैमरा और ऐसी अन्य तकनीक शामिल हैं।
Supreme Court की बेंच ने ये कहा
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने कहा कि हमारे अनुसार धारा 136ए एक बहुत ही अभिनव प्रावधान है, जो सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि सड़क अनुशासन का पालन किया जाए।
यदि धारा 136ए लागू की जाती है तो राज्य मशीनरी को उन वाहनों और व्यक्तियों का डेटा मिलेगा, जो MV Act और नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिससे प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर मुकदमा चलाया जा सके।
क्या है धारा 167ए
केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1988 के नियम 167ए को 2021 में सातवें संशोधन द्वारा शामिल किया गया, जो धारा 136ए को लागू करने के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
इसमें प्रावधान है कि चालान जारी करने के लिए उपयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन उपकरणों के पास राज्य सरकार के नामित प्राधिकारी से अनुमोदन प्रमाणपत्र होना चाहिए, जो उपकरण की सटीकता और उचित संचालन को प्रमाणित करता हो। (Supreme Court)
132 शहर उच्च जोखिम श्रेणी में शामिल
नियम में यह भी कहा गया कि इन उपकरणों को दस लाख से अधिक आबादी वाले प्रमुख शहरों में उच्च जोखिम वाले और उच्च घनत्व वाले गलियारों और महत्वपूर्ण जंक्शनों पर लगाया जाना चाहिए, जिसमें 132 अधिसूचित शहर शामिल हैं, जिससे यातायात उल्लंघनों की प्रभावी निगरानी की जा सके।
ये लापरवाही की तो बनेगा चालान
नियम 167ए के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन उपकरणों से प्राप्त फुटेज का उपयोग विभिन्न अपराधों के लिए चालान जारी करने के लिए किया जा सकता है।(Supreme Court)
जिसमें ओवरस्पीडिंग, अनधिकृत स्थानों पर रुकना या पार्किंग करना, सुरक्षात्मक गियर नहीं पहनना, लाल बत्ती जंप करना, यातायात के अधिकृत प्रवाह के विरुद्ध वाहन चलाना और एमवी अधिनियम और नियमों के तहत निर्दिष्ट अन्य उल्लंघन शामिल हैं।
इसी मामले में कोर्ट कैशलेस उपचार पर भी कर रहा विचार
न्यायालय ने यह आदेश कोयंबटूर के गंगा अस्पताल के ऑर्थोपेडिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष और प्रमुख डॉ. एस. राजसीकरन द्वारा सड़क दुर्घटना में हुई मौतों के मुद्दे पर दायर रिट याचिका में पारित किया। इसी मामले में न्यायालय सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को कैशलेस उपचार के मुद्दे पर भी विचार कर रहा है।(Supreme Court)
साथ ही ऐसी व्यवस्था तैयार करने पर भी विचार कर रहा है, जिससे भारतीय साधारण बीमा निगम मुआवजे के हकदार व्यक्तियों के खातों में ऑनलाइन मुआवज़ा हस्तांतरित कर सके। पिछले सप्ताह न्यायालय ने कहा था कि वह MV Act की धारा 162(2) के तहत सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए मुआवज़ा और कैशलेस उपचार के लिए वैधानिक योजना को लागू करने के लिए निर्देश पारित करेगा।