पिता घरों और इमारतों को डिजाइन कराना चाहते थे, लेकिन मैं अपनी पहचान के मुताबिक देश की पहली महिला एनिमेशन प्रोड्यूसर बनी, जो श्री हनुमान चालीसा से प्रेरित थी।
एनिमेशन प्रोडक्शन की आज की इंडस्ट्री में चारुवी अग्रवाल एक जाना-पहचाना नाम हैं। देश की पहली महिला एनिमेशन प्रोड्यूसर के रूप में ख्याति प्राप्त करने वाली चारुवी बेहतरीन इनोवेशन के जरिए अपने देश की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
चलिए आज के ये मैं हूं में चारूवी के सफर के बारे में जानते हैं, उन्हीं की जुबानी…
मैं शुरू से ही पढ़ने में अच्छी थी। इस दौरान मेरा दो बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ। मैंने पीसीएम समूह में अपना शोध कार्य पूरा किया। पापा का इंजीनियरिंग बैकग्राउंड सिविल एविएशन में था। उन्होंने लंबे समय तक सरकार के लिए काम किया है। सबसे पहले, वह चाहते थे कि उनकी बेटी एक वास्तुकार के रूप में करियर बनाए।
लेकिन मेरा मन आर्ट में रमता था। मेरा बचपन का शौक पेंटिंग और मूर्तियां बनाना रहा है। बिना किसी औचित्य के, मैं अपने पिता से बात करने में असमर्थ थी । मैंने एक बार फिर अपनी मां से कहा कि मैं कला के क्षेत्र में काम करना चाहती हूं। इसके बाद, जब मैंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कला महाविद्यालय में ललित कला का अध्ययन किया और स्वर्ण पदक जीता तो मेरे पिता ने कोई दबाव नहीं डाला। हालाँकि, पिताजी ने यह स्पष्ट कर दिया कि आपकी शिक्षा के लिए हमारा बजट निर्धारित है।
कनाडा गई तो मेरे सपनों काे पंख ही लग गए
फिर जब मैं कंप्यूटर एनिमेशन में ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए कनाडा गई तो मेरे इस शौक को और उड़ान मिल गई। कनाडा में मैंने देखा कि वहां आर्ट और एनिमेशन के क्षेत्र में तमाम काम हो रहे हैं। चूंकि, कनाडा एक डेवलप कंट्री है तो वहा सुविधाएं और टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में एडवांसमेंट बहुत ज्यादा है।
मैंने वहां के इनोवेंसंस और क्रिएटिविटी को नजदीक से देखा। एनिमेशन के क्षेत्र से जुड़े स्टूडियोज में वहां बड़े लेवल पर काम होता है।
हमारी भारतीय संस्कृति को विकसित करने की इच्छा प्रबल और मजबूत होती गई।
अपने करियर को ध्यान में रखते हुए मैं भी वहीं काम करने के बारे में सोचने लगी। तब मुझे आश्चर्य होने लगा कि मैं इस स्थिति में क्या हासिल करने में सक्षम था। मैं केवल अपनी प्रतिभा को किसी व्यवसाय या फर्म में योगदान दे पाऊँगी । जैसे-जैसे इस समय मानसिक उथल-पुथल बिगड़ने लगी, मैंने भारतीय संस्कृति को सर्वोत्तम संभव प्रकाश में दुनिया के सामने पेश करने के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ करने का निर्णय लिया।
मैंने अपना खुद का बिजनेस शुरू किया, लेकिन सफर आसान नहीं था।
मैंने 2007 में एनीमेशन फिल्म प्रोजेक्ट “10 अवतार” के साथ शुरुआत की थी। मैंने इस परियोजना के माध्यम से पेशेवर और व्यावहारिक जीवन का अनुभव प्राप्त किया है जो भविष्य में मेरी बहुत मदद करेगा। इसके बाद मेरा खुद का बिजनेस शुरू करने की इच्छा बढ़ी।
अंत में, 2009 में, मैंने नई दिल्ली में एक डिजाइन कंपनी चारुवी डिजाइन लैब्स (सीडीएल) की स्थापना की, जो उच्च क्षमता वाले कला एनीमेशन में माहिर है। हमारी कंपनी ने पौराणिक और भारतीय कथाओं पर विशेष जोर दिया है।
एनिमेशन इंडस्ट्री में आई तो पहली बिजनेस वुमन बनी
जब मैंने पहली बार एनिमेशन क्षेत्र में काम करना शुरू किया तो कोई महिला उद्यमी नहीं थी। उम्मीदवारों की भर्ती करना मेरे लिए एक और मुश्किल काम था। लेकिन उन सभी चीजों को करके एक संगठन बनाया।
श्री हनुमान चालीसा फिल्म ने बदल दी जिंदगी
कंपनी के पहले प्रोजेक्ट के तौर पर मैंने अपनी टीम के साथ मिलकर श्री हनुमान चालीसा एनिमेशन फिल्म पर काम करना शुरू किया। यह प्रोजेक्ट मेरे लिए लाइफ के टर्निंग प्वाइंट से कम नहीं था। शुरुआत में यह प्रोजेक्ट फंडेड था लेकिन प्रोड्यूसर ने एक साल के अंदर ही फंड देना बंद कर दिया। अब मेरे लिए वह स्थिति बीच मंझधार में फंसने जैसी थी। लेकिन हार न मानते हुए मैंने 2 साल तक इस प्रोजेक्ट के लिए फंड जुटाया और काम पूरा किया।
हमारी कंपनी ने हाल ही में गौतम बुद्ध के जीवन के बारे में 30 मिनट की दो एनिमेटेड फिल्में पूरी की हैं। बेहतरीन 360-डिग्री साउंड और लाइट शो का इस्तेमाल करते हुए हमने वह प्रोजेक्ट बनाया, जिसे यूपी सरकार ने मंजूरी दी थी।
आज व्यवसाय के संदर्भ में, सीडीएल एशिया के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे तेज विकास दर के साथ डिजाइन स्टूडियो के रूप में उभरा है।