Hartalika Teej 2024 : जानिये हरतालिका तीज की धार्मिक मान्यताएं और पौराणिक कहानी
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर वर्ष Hartalika Teej पर्व मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं अपने सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए और कुवांरी कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। हरतालिका तीज के दिन मुख्य रूप से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सुनिए हरतालिका तीज की पौराणिक कथा…
Hartalika Teej 2024 कब है?
पंचांग के अनुसार, Hartalika Teej भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ होगी। इस तिथि का समापन 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा। उदिया तिथि के चलते हरतालिका तीज का व्रत 06 सितंबर को ही रखा जाएगा।
हरतालिका तीज 2024 पूजा-मुहूर्त
Hartalika Teej वाले दिन पूजा का मुहूर्त 6 बजकर 2 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक है। जो व्रती इस समय में पूजा न कर पाएं, वे शाम को सूर्यास्त होने के बाद जब प्रदोष काल शुरू हो, तब कर सकती हैं। व्रत वाले दिन सूर्यास्त 06:36 बजे होगा। हरतालिका तीज के दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक है।
हरतालिका तीज की पौराणिक कथा
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर वर्ष Hartalika Teej पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं अपने सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए और कुवांरी कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। हरतालिका तीज के दिन मुख्य रूप से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी तिथि पर महादेव ने माता पार्वती को पत्नी स्वरूप में स्वीकार किया था। यहां ‘हरतालिका नाम दो शब्दों हरत और अलिका से मिलकर बना है, जिसमें ‘हरत’, यानि हरण और ‘अलिका’ यानि परिचित महिला है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए गंगा नदी के तट पर कठोर तपस्या की। उन्हें इस अवस्था में देखकर पार्वती के पिता हिमालय राज ने उनका विवाह भगवान विष्णु से करने का निर्णय लिया। बचपन से शिव आराधना में लीन देवी पार्वती ने जब अपनी पीड़ा अपनी सहेली को बताई, तो सखी ने उनकी मदद करने का फैसला किया और उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें एक घने जंगल में ले गई, जहां मां पार्वती ने तब तक कठोर साधना की जब तक भगवान शिव ने उनसे विवाह के लिए सहमति नहीं दे दी।
निर्जला उपवास रखती है महिलाएं
मां पार्वती के इस तपस्वी रूप को नवरात्रि के दौरान माता शैलपुत्री के नाम से पूजा जाता है। भगवान शिव की इसी भक्ति और मिलन के उपलक्ष्य में सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु, प्रगति और स्वास्थ्य के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। निर्जला होने के कारण यह कठिन माना जाता है। Hartalika Teej का पर्व पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है। यह उनके आपसी प्रेम, समर्पण, एकनिष्ठा और प्रेम का प्रतीक है, जो उन्हें भटकाव से रोकता है।
महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ लाल, हरे, पीले, नारंगी जैसे शुभ रंग के वस्त्रों में तैयार होती हैं और मेहंदी रचाती हैं। अपने हाथों से गणेश, शिव, पार्वती की मूर्ति बनाती हैं। भगवान की चौकी सजाती हैं, गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं, भगवान का झूला बनाती हैं और इस तरह व्रत का समय हंसते गाते व्यतीत हो जाता है। व्रत में काले रंग से बचना चाहिए। क्योंकि यह दुर्भाग्य, अंधकार, शोक और नकारात्मकता का प्रतीक है। बल्कि सुहाग की प्रतीक सिंदूर और मेहंदी लगाई जाती है।