भोपाल: गैस त्रासदी में मुआवजे पर सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला आज
पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड से करीब 7800 करोड़ का अतिरिक्त मुआवजा दिलाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जनवरी में ही पूरी हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को 1984 की भोपाल गैस कांड के पीड़ितों का मुआवजा बढ़ाने की केंद्र की क्यूरेटिव पिटीशन पर फैसला सुना सकता है।
सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ सकते।3 दिन तक दलीलें सुनने के बाद जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
भोपाल गैस त्रासदी 2-3 दिसंबर 1984 की रात में हुई थी। यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के एक टैंक से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रिसने के कारण चारों ओर लाशें ही लाशें बिछ गई थीं।
केंद्र ने 2010 में दाखिल की थी क्यूरेटिव पिटीशन
गैस कांड के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने पीड़ितों को 470 मिलियन डॉलर का मुआवजा दिया था। लेकिन पीड़ितों ने ज्यादा मुआवजे की मांग करते हुए कोर्ट में अपील की। केंद्र ने 1984 की गैस कांड पीड़ितों को डाउ केमिकल्स से 7,844 करोड़ रुपए का अतिरिक्त मुआवजा मांगा है। इसके लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की गई थी।
पीड़ितों का दावा- मौत का आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा
गैस पीड़ित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया था कि 1997 में मृत्यु के दावों के रजिस्ट्रेशन को रोकने के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट को बता रही है कि आपदा से केवल 5,295 लोग मारे गए। मौतों का असली आंकड़ा 25 हजार से ज्यादा है।
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा के मुताबिक यूनियन कर्बाइड को इसकी जानकारी थी कि गैस रिसाव की वजह से स्थायी नुकसान होगा। सरकार से भी यह बात छुपाई गई थी।