6 अप्रैल को हनुमान जी का प्रकट उत्सव, चैत्र पूर्णिमा पर करें सुंदरकांड का पाठ
गुरुवार, 6 अप्रैल को श्री राम के परम भक्त हनुमान के प्रकटोत्सव का शुभ अवसर है। त्रेता युग की पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव का पुनर्जन्म चैत्र की पूर्णिमा के दिन केसरी और अंजनी के पुत्र के रूप में हुआ था। हनुमान को शुरू में मारुति के नाम से जाना जाता था, लेकिन देवराज इंद्र के एक हमले के कारण उनका नाम बदलकर हनुमान कर दिया गया। 6 अप्रैल को चैत्र मास की समाप्ति होगी और वैशाख मास के स्नान-कर्म शुरू हो जाएंगे। वैशाख मास में नदियों में स्नान करने की परंपरा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.मनीष शर्मा के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और उनके अवतारों के सम्मान में विशेष पूजा, अभिषेक और अन्य शुभ अनुष्ठान करने की सलाह दी जाती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने और सुनने का विधान है। इसके अतिरिक्त, हनुमान प्रकट उत्सव के उत्सव के कारण, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करने की सलाह दी जाती है।
हनुमान पूजन की सरल स्टेप्स
हनुमान जी के प्रकट उत्सव पर सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। सूर्य देव हनुमान जी के गुरु हैं। इनकी पूजा से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं।
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर के मंदिर में सबसे पहले गणेश पूजा करें। गणेश जी को स्नान कराएं। हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें। दूर्वा चढ़ाएं। लड्डू का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
गणेश पूजा के बाद राम दरबार के साथ हनुमान जी का अभिषेक करें। हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं। पूजन सामग्री अर्पित करें। भगवान के सामने धूप-दीप जलाएं। हार-फूल चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं।
इस दिन हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। ऊँ रामदूताय नम: मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें।
ऐसे पड़ा मारुति का नाम हनुमान
जब मारुति युवा थे, तो एक दिन उन्होंने सूर्य को निगल लिया, जिससे पूरे ब्रह्मांड में अंधेरा फैल गया। सभी देवी-देवता व्याकुल हो उठे। उस समय देवताओं के राजा इन्द्र ने मारुति पर क्रोधित होकर उन पर वज्र से प्रहार किया। वज्र के प्रहार से हनु अर्थात मारुति का जबड़ा टूट गया। मारुती पर आक्रमण होने पर उनके पिता पवन देव ने क्रुद्ध होकर समस्त ब्रह्माण्ड में वायु के प्रवाह को रोक दिया। तब सभी देवताओं ने पवन देव से प्रार्थना की कि वे वायु को न रोकें, अन्यथा सृष्टि का विनाश हो जाएगा। सृष्टि की भलाई के लिए पवन देव मान गए। इसके बाद सभी देवताओं ने मारुति के जबड़े में लगी चोट के कारण उसे अलग-अलग शक्तियाँ प्रदान कीं, जिससे उसका नया नाम हनुमान पड़ा।