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भोपालमध्यप्रदेश

भोपाल की जीवदया गौशाला की जांच रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा:नगर निगम ने 1Km दूर फेंके मृत गोवंश

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की सबसे बड़ी और जीवदया गौशाला में गोवंश की मौत और कुछ दूर शव-कंकालका के आस्तित्व मिलने के मामले की जांच पूरी हो गई है। जांच रिपोर्ट में गोशाला को क्लीनचिट दी गई है, जबकि नगर निगम को जिम्मेदार माना है। रिपोर्ट में कहा है कि नगर निगम के ठेकेदार ने गोशाला से 1 किलोमीटर की दुरी पर मृत गोवंश के शव फेंके। गोशाला के शव भी यही फेंके जाने लगे। इससे शव-कंकाल का ढेर लग गया । गोशाला प्रबंधन की खामियां भी सामने आई हैं। जिसे सुधारने को कहा गया है।

बता दें कि इस मामले की जांच के बाद जीवदया गोशाला में पशुपालन विभाग ने 7 सदस्यीय टीम बनाई थी। टीम ने पांच दिन तक जांच की। इसके बाद टीम ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी। हालांकि, अफसरों को रिपोर्ट पढ़ने की फुर्सत तक नहीं मिली थी। आखिरकार रिपोर्ट के बारे में गुरुवार को खुलासा कर दिया गया।

बिंदुओं पर जांच…

प्रतिदिन जीवदया गोशाला में गायों की संख्या कम कैसे?

नगर निगम कांजी हाउस में गोवंश इकट्‌ठा करता है और अचानक गोशाला भेजता है। इससे गोशाला में गोवंश की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। इस कारण राशि जारी करने में असमंजस की स्थिति बन जाती है। पशुआ का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए और चारे की व्यवस्था भी करें।

कुछ समय से जीवदया गोशाला के पास शवों को फेंका जा रहा है। गोशाला के मृत पशु के शव भी यही फेंके जाने लगे। इस कारण शव-कंकाल का ढेर लग गया और यह इश्यू बन गया।
गोशाला, निगम की क्या जिम्मेदारी थी?

खुले में ही चीर-फाड़ की गई। गोशाला ने भी मृत पशुओं के शवों का डिस्पोज सही ढंग से नहीं किया। शवों को फेंकने की बजाय जमीन में दफनाया जाना था।
पशुपालन विभाग के उप संचालक डॉ. अजय रामटेके ने रिपोर्ट की पुष्टि की है। जांच रिपोर्ट में मृत गोवंश का चमड़ा उतारने, उक्त चमड़े और हडि्डयों की बिक्री के साक्ष्य नहीं मिलना बताया गया है।

गायों का डिस्पोज करने के लिए राशि नहीं

इधर, एक तथ्य यह भी है कि गायों के शवों को डिस्पोज करने के लिए गोशालाओं के पास पर्याप्त राशि नहीं होती। वर्तमान में 20 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से एक गाय का मानदेय दिया जाता है। जिसमें पर्याप्त पेट नहीं भर पाता है।

पूर्व में जितनी अच्छी गौशाला चलती थी, उतनी हालत अब नहीं

जांच के बाद पता चला की पूर्व में जीवदया गोशाला एक मॉडल थी। यहां पर दूसरी गोशालाओं के संचालकों की विजिट भी करवाई जाती थी, लेकिन पिछले कुछ सालो गंभीर से अव्यवस्थाएं देखने को मिल रही है। दो साल पहले जितनी अच्छी गौशाला चलती थी, वह अब नहीं है। गौशाला में गायें गंदगी के बीच रह रही थीं।

गायों के पानी पीने के लिए बनाई गई टंकी में पानी तो भरा था, लेकिन उस पानी में बहुत गंदगी थी और उसमें काई तैर रही थी। गंदगी का अंबार भी देखने को मिला। इन खामियों को सुधारने के लिए गोशाला प्रबंधन से कहा गया है।

एमपी में 1687 गोशालाओं में ढाई लाख गोवंश

नगर निगम ने वर्ष 2022 में सालभर में छह गोशालाओं में कुल 3,769 गोवंश भेजे। इनके आंकड़ों की जब जांच की रिपोर्ट सामने आई की गई तो सबसे ज्यादा गोवंश भदभदा स्थित जीवदया गोशाला में ही भेजे गए हैं। इसके अलावा कृष्ण गोपाल गोशाला डुगरिया गोहरगंज रायसेन, सेवा भारती बराई बैरसिया, नंदनी गोशाला भदभदा केरवा रोड, महामृत्युंजय गोशाला कोकता और गोपाल कृष्ण गोशाला मंडीदीप रायसेन में गोवंश भेजे गए। जीवदया गोशाला में सालभर में कुल 89 बार गोवंश भेजे गए हैं। पशु चिकित्सा विभाग ने 31 जनवरी को नगर निगम से यह जानकारी मांगी थी। जिसमें पूछा गया था कि गोशालाओं में कब-कितने पशु भेजे गए।

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भोपाल की गोशाला में कंकाल इतने कि गिनना मुश्किल; कुत्ते नोच रहे गायों के शव

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 25Km दूर है जीवदया गोशाला। यह भोपाल की सबसे बड़ी गोशाला है। हकीकत में इसे ‘कंकालों’ की गोशाला या बूचड़खाना कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि मैदान में बिखरे पड़े गायों के शवों की तस्वीर यही बयां कर रही है। इन शवों को कुत्ते नोच रहे हैं। कंकाल इतने कि इनको गिनना मुश्किल है। दूर-दूर तक सिर्फ कंकाल और शव ही नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं गोशाला प्रबंधक का कहना है कि गायों के शव बेचकर गोशाला का खर्च निकाला जा रहा है।

भोपाल की सबसे बड़ी जीव दया गोशाला गायों की मौत और कुछ दूर शव-कंकाल के ढेर पड़े होने की वजह से सुर्खियों में है। मामले में गो-संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा है कि मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई है। कोई लापरवाही पाई जाती है, तो एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नगर निगम के ठेकेदार गोशाला से कुछ दूर गोवंश के शव फेंक जाते हैं, जबकि हमने अफसरों से कहा है कि गोवंश को भू-समाधि दी जाए, उनकी चीरा-फाड़ी न की जाए। निगम द्वारा लाई जाने वाली गायें पॉलीथिन खाकर आती है। कुछ दिन बाद उनकी मौत हो जाती है।

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