Haryana: हुड्डा-सैलजा ग्रुप में शह-मात का खेल: पार्टी हाईकमान टिकट वितरण पर बना रही रणनीति
Haryana (गुरूग्राम) : हरियाणा प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी लगातार तेज होते जा रही है, पूर्व सीएम खेमे को नुकसान।
Haryana: हरियाणा प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी लगातार तेज होते जा रही है। कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर रणनीति बनाने का दौर जारी है। साथ ही हुड्डा व कुमारी सैलजा और सूरजेवाला ग्रुप में अंदरखाने शह-मात का खेल भी चल रहा है। एक-दूसरे को कमजोर कर अपना कद बढ़ाने पर लगातार मंथन हो रहा है।
कुमारी सैलजा और सूरजेवाला ग्रुप की कोशिश है कि सत्ता की कुर्सी पर आसीन होने के लिए इस बार लगातार दो चुनाव हारने वालों को टिकट ना दी जाए। साथ ही नए चेहरों पर दांव लगाकर बहुमत की सरकार बनाई जाए। अगर ऐसा हुआ तो सर्वाधिक नुकसान हुड्डा खेमे को ही होगा। वहीं सीएम फेस को लेकर भी दोनों ग्रुप में मंथन का दौर चल रहा है।
Haryana: लोकसभा के बाद से उत्साह का माहौल
लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 10 में से 5 सीट जीतकर कांग्रेस में उत्साह का माहौल है और अब वह पूरी ताकत से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। प्रदेश में हुड्डा व कुमारी सैलजा और सूरजेवाला ग्रुप में आपसी खींचतान का दौर भी जारी है। हालांकि सार्वजनिक तौर पर एकजुटता का संदेश देने की कोशिश हाईकमान द्वारा की जा रही है। जबकि अंदरखाने दोनों ग्रुप एक-दूसरे की जड़े खोदने में जुटे हुए नजर आते हैं। इसी के तहत कुमारी सैलजा और सूरजेवाला ग्रुप की कोशिश है कि 2014 व 2019 विधानसभा चुनाव हारने वाले नेताओं को इस बार टिकट किसी भी सूरत में ना दी जाए।
नेताओं की लंबी सूची
अगर ऐसा हुआ तो इसका सबसे अधिक नुकसान हुड्डा खेमे को ही होगा। ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है, जो पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा से जुड़े हुए हैं और दो चुनाव लगातार हारे हैं। नए चेहरों पर दांव लगाया गया तो कुमारी सैलजा और सूरजेवाला ग्रुप को सर्वाधिक फायदा होगा। इसी के चलते कुमारी सैलजा और सूरजेवाला ग्रुप दिल्ली में लगातार दो चुनाव हारने वालों की टिकट पर कैंची चलाने की रणनीति पर काम कर रहा है। साथ ही हाईकमान को भी इसके लिए तैयार किया जा रहा है।
Haryana: सीएम फेस की तैयारी
कांग्रेस हाईकमान को लगता है कि इस बार मतदाताओं का रूझान कांग्रेस की ओर है। लोकसभा चुनाव में पांच सीट जीतकर कांग्रेस अब वह विधानसभा चुनाव में फतेह हासिल कर सत्ता की कुर्सी पर काबिज होने की तैयारियों में जुटे हुए हैं। टिकट के साथ ही दोनों ग्रुप सीएम फेस को लेकर भी रणनीति बना रहे हैं।
इसी के चलते दोनों ग्रुप अपने करीबियों को सर्वाधिक टिकट दिलाने की रणनीति बना रहे हैं, ताकि संख्या बल के आधार पर वह सीएम का दावा मजबूती से पेश कर सकें। दलित चेहरे के दम पर आगे बढने की रणनीति कांग्रेस इस बार हर हाल में हरियाणा में सरकार बनाना चाहती है और इसके लिए वह कड़े कदम उठाने का दावा भी कर रही है।
कमलबीर की राहुल गांधी के यहां सीधी एंट्री
साथ ही कांग्रेस दलित चेहरे के रूप में कुमारी सैलजा को आगे कर वोटर्स साधने की कवायद कर रही है। यदि दो बार चुनाव हारने वालों की टिकट कटी तो कुमारी सैलजा और सूरजेवाला ग्रुप पॉवरफुल बनकर उभरेगा। इस ग्रुप में नए चेहरे होंगे और पार्टी हाईकमान भी पुराने व हारे हुए चेहरों को चुनावी रण में उतारकर पार्टी का नुकसान नहीं करना चाहेगा।
कुमारी सैलजा और सूरजेवाला ग्रुप पर एक नजर पहले कांग्रेस में एसआरके ग्रुप में सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी थे। किरण के बीजेपी में जाने के बाद अब उनकी जगह लेने का दावा जनता दल के दिग्गज नेता रहे स्व. शरद यादव के समधी कमलबीर कर रहे हैं। स्व. शरद यादव की बेटी सुभाषिनी की शादी कमलबीर के बेटे राजकमल से हुई है। इसी के चलते कमलबीर की राहुल गांधी के यहां सीधी एंट्री है। जातिगत रूप से देखा जाए तो एसआरके ग्रुप में एक दलित, एक जाट व एक यादव नेता हैं।