छत्तीसगढ़: का महुआ पहुंचा लंदन चीनी के ऑप्शन के तौर पर इस्तेमाल इससे बने एनर्जी ड्रिंक, लड्डू, बिस्किट की भारी डिमांड
गरियाबंद जिले के देवभोग वन संसाधन विकास केंद्र में, महिला समूह वर्तमान में खाद्य-ग्रेड महुआ का उत्पादन कर रहे हैं, जिसकी मांग लंदन तक बढ़ गई है। पिछले साल, केंद्र ने गोवा और लंदन में 180 क्विंटल महुआ फूल 116 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचे थे। यह इंग्लैंड में चीनी के विकल्प के रूप में कार्य करता है।
भूपेश सरकार के नेतृत्व वाली सरकार की महत्वपूर्ण पहलों में से एक ग्रामीण क्षेत्रों में वन संसाधन विकास केंद्र की स्थापना है। इस केंद्र में प्रसंस्कृत वन उत्पादों में महुआ के फूल महत्वपूर्ण हैं। देवभोग वन संसाधन विकास केंद्र ने खाद्य ग्रेड महुआ फूल उत्पादों को तैयार करने के लिए महुआ के फूलों का प्रसंस्करण करने वाला पहला महिला समूह देखा है। प्रभारी प्रबंधक देवेंद्र बेहरा ने केंद्र पर काम का अवलोकन करने के बाद बताया कि वन संसाधन केंद्र की महिला सहायता समूह सुबह से शाम तक प्रसंस्करण और पैकेजिंग के काम में लगी रहती है.
केंद्र के नियुक्त प्रबंधक देवेंद्र बेहरा ने खुलासा किया कि महिला क्लस्टर की चयनित महिलाओं को प्रति क्विंटल 42 रुपये की आमदनी होती है. कैंसर क्लस्टर के चयनित 1000 वृक्षों से 1000 महुआ के फूल प्राप्त हो रहे हैं। इस पहल में जय मां भगवती स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सक्रिय रूप से शामिल हुई हैं। कच्चा महुआ 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से अधिग्रहित कर वन संसाधन केंद्र लाया जाता है। इस प्रकार अब तक 42 क्विंटल महुआ की खरीद हो चुकी है।
गोवा और लंदन में भी भारी डिमांड
जिला संघ के प्रबंध निदेशक अतुल श्रीवास्तव ने संकेत दिया कि पिछली बार महुआ के फूलों की खरीद और प्रसंस्करण केवल परीक्षण ग्राम समिति स्तर पर किया गया था. देवभोग क्षेत्र से कुल 180 क्विंटल खाद्य ग्रेड महुआ तैयार किया गया था, जिसमें पांच से अधिक समूह काम कर रहे थे। महुआ को गोवा और लंदन में फूड-ग्रेड महुआ टेंडर के माध्यम से 116 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा गया था। इस बार देवभोग वन संसाधन केंद्र में प्रसंस्करण हो रहा है।
रायपुर सर्किल यानी 5 वन मंडलों में यह इकलौता केंद्र है, जहां वैज्ञानिक पद्धति से फूड ग्रेड महुआ तैयार किया जा रहा है। इस बार 100 क्विंटल का फूड ग्रेड महुआ तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है।
ऐसे तैयार होता है फूड ग्रेड महुआ
रायपुर वन परिमंडल के वरिष्ठ कार्यकारी लोकेश कोसमा की देखरेख में वन संसाधन केंद्र में खाद्य ग्रेड महुआ तैयार किया जा रहा है. श्री कोसामा ने इसे तैयार करने की प्रक्रिया के बारे में बताया, जिसमें महुआ के फल को गिरने से रोकने के लिए चुनिंदा पेड़ों के नीचे जाल लगाना शामिल है। इसके बाद फलों को हाथ से इकट्ठा किया जाता है और टोकरे में बिना छुए रखा जाता है। उन्हें संग्रह केंद्र से 6 घंटे के भीतर प्रसंस्करण केंद्र तक ले जाया जाना चाहिए, और परिवहन के दौरान टोकरे नमी प्रतिरोधी जूट बैग से ढके होते हैं।
प्रसंस्करण से पहले कच्चे महुआ की ग्रेडिंग की जाती है। यदि यह मानक को पूरा करता है, तो इसे ड्रायर पर रखा जाता है। एक ड्रायर में अधिकतम 20 से 30 किलोग्राम कच्चा महुआ रखा जाता है। ड्रायर पराबैंगनी पॉलीथीन से ढका होता है। महुआ से निकलने वाली भाप को निकालने के लिए एक वेंटिलेशन पाइप भी होता है। सूखे हुए महुआ के फूलों को रोजाना 3 से 4 बार पलटना चाहिए। 5 दिन की प्रक्रिया के बाद गोल्डन ब्राउन रंग का महुआ तैयार हो जाता है.
प्रत्येक प्रक्रिया का खाद्य मानकों के अनुसार निरीक्षण किया जाता है और प्रयोगशाला परीक्षण के माध्यम से एक रिपोर्ट तैयार की जाती है। यदि कोई गैर-मानक परिणाम मिलता है, तो प्रक्रिया दोहराई जाती है। पैकेजिंग से पहले, उत्पाद से अशुद्धियों को दूर करने के लिए ग्रेडिंग की जाती है। अंततः, 1 किलोग्राम खाद्य-ग्रेड कच्चे महुआ से 5 किलोग्राम तैयार उत्पाद प्राप्त हो सकता है।
विदेशों में चीनी के विकल्प के रूप में होता है इस्तेमाल
महुआ के पेड़ के फूल मैक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के साथ-साथ कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, केराटिन और विटामिन सी से भरपूर होते हैं। पानी में भिगोए गए महुआ के फूलों का सेवन एनीमिया का अनुभव होने पर रक्त की मात्रा बढ़ाने में मदद कर सकता है। ठंड के दिनों में एक गिलास दूध में 2-3 गर्म महुआ के फूल डालकर पीने से शरीर को ताकत और स्फूर्ति मिलती है। इंग्लैंड में चीनी के विकल्प के रूप में महुआ का उपयोग किया जाता है। ऊर्जा पेय, बिस्कुट और पौष्टिक खाद्य उत्पादों में इसके उपयोग के कारण महुआ की मांग अधिक है।