Dengue cases : केस बढ़कर 192 हुए, 85 वार्डों के लिए सिर्फ 12 मशीनें
शहर में डेंगू का नया वेरिएंट मिलने के बीच नौ महीने के भीतर (Dengue cases) मरीजों का आंकड़ा 192 तक पहुंच गया है। इसके बाद भी नाकाफी फॉगिंग के भरोसे ही डेंगू से बचने के इंतजाम किए जा रहे हैं। हालात ये हैं कि 22 लाख की आबादी में केवल 12 व्हीकल माउंटेड मशीनों के भरोसे ही अल्टरनेट दिनों में फॉगिंग की जा रही है।
8 मशीनों को फायर ब्रिगेड टीम संचालित करती है, जबकि तीन मशीनें उन जोन में एएचओ को दी गई हैं, जहां 74 बंगला, रचना नगर और चार इमली जैसे वीआईपी इलाके आते हैं।(Dengue cases)
जानकारों का कहना है कि डेंगू पर लगाम तब लगेगी, जब सभी 85 वार्डों में एक-एक मशीन रोजाना फॉगिंग करेगी। फिलहाल भोपाल नगर निगम हर महीने 2.81 लाख साइनोथियन और टेमोफॉस दवा का छिड़काव करने का दावा कर रहा है।(Dengue cases)
नियम कहता है कि फॉगिंग शाम ढलने और रात होने के बीच की जानी चाहिए, क्योंकि यही वक्त मच्छरों के मूवमेंट का होता है। जबकि निगम उन इलाकों में दिन में भी फॉगिंग कर रहा है, जहां हाल में डेंगू-चिकनगुनिया का केस मिला है।(Dengue cases)
कितनी दवा इस्तेमाल की, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं
भोपाल नगर निगम डेंगू से बचाव के लिए फॉगिंग के लिए दो तरह की दवाएं इस्तेमाल करता है। पहली साइनोथियन और दूसरी टेमोफॉस। साइनोथियन का इस्तेमाल खुले में फॉगिंग के लिए किया जाता है, जबकि टेमोफॉस डेंगू लार्वा नष्ट करने के लिए छिड़की जाती है। अफसरों ने हर महीने दोनों दवाओं की खपत 100-100 लीटर बताई है(Dengue cases)। यानी दोनों दवाओं पर निगम हर महीने 2.81 लाख रुपए खर्च करता है। नगर निगम के सूत्रों का कहना है कि फॉगिंग की कोई लॉगबुक मेंटेन नहीं होती। इसलिए ये तय कर पाना मुमकिन नहीं होता कि निगम द्वारा वाकई इतनी दवा फॉगिंग में इस्तेमाल हुई भी है या नहीं?
Dengue cases, दावे और हकीकत…
- दावा : भोपाल नगर निगम की 12 मशीनों से शहरभर में फॉगिंग की जा रही है?
- हकीकत : हर क्षेत्र से ढेरों शिकायतें हैं, जहां अरसे से फॉगिंग नहीं हुई।
- दावा : निगम खाली प्लॉट में भरने वाले पानी की निकासी की व्यवस्था कर रहा है?
- हकीकत : शहर का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं, जहां खाली प्लॉट पर लंबे समय से पानी न भरा हो। इक्का-दुक्का फाइन ही किए गए।
लोग जागरूक हुए, लक्षण होने पर भी अस्पताल पहुंच रहे हैं
^लोगों में डेंगू को लेकर मरीजों में जागरूकता बढ़ी है। यहीं कारण है कि डेंगू के लक्षण होने पर भी मरीज तत्काल अस्पताल पहुंच रहे हैं (Dengue cases)। हालांकि डेंगू की एलाइजा जांच में जो पॉजिटिव आते हैं, सिर्फ उन्हें डेंगू पॉजिटिव माना जाता है। रेपिड टेस्ट में कभी-कभी फाल्स पॉजिटिव भी आते हैं।
डॉ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ, भोपाल
लगातार उल्टी, सूजन है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं, ये खतरे की बात
^बच्चों में भी डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं। ओपीडी में 50 प्रतिशत बच्चे हाईग्रेड फीवर की समस्या लेकर पहुंच रहे हैं। इनमें से महज 5 प्रतिशत में डेंगू पॉजिटिव आ रहा है। इसलिए पेनिक वाली बात नहीं है। बच्चों में बुखार आने के तीन दिन बाद ही डेंगू की जांच कराना चाहिए। कोई गंभीर समस्या नहीं है तो घर पर भी डेंगू का इलाज किया जा सकता है। लगातार उल्टी, सूजन आने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि इससे खतरा अधिक होता है।
डॉ. राजेश टिक्कस, प्रोफेसर, जीएमसी
जानिये हरतालिका तीज की पौराणिक कथाएं
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हर वर्ष Hartalika Teej पर्व मनाया जाता है। विवाहित महिलाएं अपने सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए और कुवांरी कन्याएं उत्तम वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। हरतालिका तीज के दिन मुख्य रूप से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। सुनिए हरतालिका तीज की पौराणिक कथा………...आगे पढ़ें