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MP में हाउसिंग बोर्ड की जबरदस्त पहल, बोर्ड की संपत्ति बेचने वालो पर कसेगा नकेल, एक क्लिक में GIS मैपिंग से खुल जाएगी पोल

मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड ने अपनी सभी प्रॉपर्टी की GIS (जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम) मैपिंग शुरू कर दी है। इसका मतलब यह है कि अब एक क्लिक पर ही प्रॉपर्टी की सारी जानकारी आसानी से मिल जाएगी। कोई भी व्यक्ति जिसके पास संपत्ति है, वह https://geoportal.mp.gov.in/ नामक वेबसाइट पर जा सकता है और अपनी संपत्ति के बारे में सभी विवरण और दस्तावेज देख सकता है। आप पता लगा सकते हैं कि खरीदार या विक्रेता कौन है, कितना पैसा अभी भी बकाया है, संपत्ति कितनी बड़ी है और इसे कब खरीदा गया था। आप यह भी देख सकते हैं कि यह घर है या दुकान. इससे लोगों को हाउसिंग बोर्ड की संपत्ति खरीदते या बेचते समय दूसरों को धोखा देने या धोखा देने से रोकने में मदद मिलेगी।

यह है जीआईएस मैपिंग

जीआईएस एक कंप्यूटर बेस्ड सिस्टम है जो धरती की सतह पर विभिन्न तरह के डाटा को कैप्चरिंग, स्टोरिंग, चेकिंग करने के बाद डिस्प्ले करता है। जीआईएस एक ही मैप में विभिन्न तरह का डाटा दिखाता है। यह मैप चीजों को देखने, समझने और विश्लेषण करने में सक्षम बनाता है। जिससे ग्राउंड लेवल चीजों को देखने जैसा अनुभव मिलता है। मैप डाटा लेयर में होता है। जिस लेयर पर क्लिक करेंगे उसको हाइलाइट करके दिखाएगा।

जाने जीआईएस मैपिंग से क्या क्या लाभ होंगे

जीआईएस मैपिंग में जूम कर प्लॉट की पूरी जानकारी देखी जा सकती है। प्लॉट की लंबाई और चौड़ाई भी नजर आती है। बाद में यदि इसकी लंबाई चौड़ाई में कोई फर्क मिलता है तो एस्टेट ऑफिस को अतिक्रमण हटवाने के लिए किसी शिकायत का इंतजार नहीं करना होगजीआईएस मैपिंग का फायदा यह होगा कि वाटर सप्लाई लाइन और सीवर लाइन की लाइन में अगर कहीं फॉल्ट आ जाता है तो उस जगह के बारे में तुरंत इस सिस्टम से पता चल जाएगा। इसको ठीक करना मुश्किल नहीं होगा।विभिन्न प्रोजेक्ट्स अलग-अलग तरह की परमिशन नहीं मिलने के कारण ही अटके रहते हैं। कहीं पर खुदाई करने और केबल आदि की जानकारी में ही काफी समय लग जाता है। इस सिस्टम से सभी तरह की जानकारी मैप पर क्लिक करते ही उभरकर सामने आ जाएगी। जिससे परमिशन लेने में आसानी होगी इस मैपिंग के बाद हाउसिंग बोर्ड अपने ऑफिस से ही देख सकेगा कि कौन सी प्रॉपर्टी रेजिडेंशियल है या कमर्शियल। अगर आप रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में कमर्शियल एक्टिविटी कर रहे हैं और कोई शिकायत करता है तो इस मैपिंग के जरिए पता चल जाएगा कि उस प्रॉपर्टी की परमिशन कैसी है। लिहाजा आपको या तो परमिशन चेंज करानी पड़ेगी या कमर्शियल एक्टिविटी बंद करनी पड़ेगी। इससे सरकार का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ेगा। साथ ही अगर किसी ने मंडल की जमीन पर अतिक्रमण किया है तो वो भी इस सिस्टम से पता चल जाएगा।

15 से ज्यादा सेवाएं पहले से ऑनलाइन

हाउसिंग बोर्ड की मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बिदिशा मुखर्जी ने बताया कि नामांतरण, हस्तांतरण जैसी 15 से ज्यादा सेवाएं हम पहले ही ऑनलाइन कर चुके हैं। डॉक्यूमेंट और डाटा को सेव करने के लिए हम तेजी से डिजिटाइजेशन का काम कर रहे हैं। 50 लाख डॉक्यूमेंट हम स्कैन कर चुके हैं और इस पूरे डाटा को क्लाउड पर लेकर जा रहे हैं। अब हम जीआईएस मैपिंग पर काम कर रहे हैं। इससे आवंटी को एक क्लिक में सभी जानकारी घर बैठे मिल सकेगी। साथ ही जीआईएस मैपिंग से सिस्टम को और ज्यादा पारदर्शी बनाया जा सकेगा।

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