इन योजनायों के लिए भारत सरकार शुरू करेगी जनगणना(Census), जानिए क्या होंगे बदलाव
केंद्र सरकार सितंबर में जनगणना (Census) शुरू कर सकती है। हालांकि, इसको लेकर सरकार की तरफ से किसी तरह की पुष्टि नहीं की गई। हाल ही में जातिगत जनगणना को लेकर बहस अभी थमी भी नहीं है और अब देश में जनगणना की जा सकती है। बता दें, जनगणना में हो रही देरी की वजह से सरकारी योजनाएं और नीतियां साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से तैयार किए जाते हैं।(Census)
इससे आर्थिक आंकड़े, मुद्रास्फीति और नौकरियों के अनुमानों सहित कई सांख्यिकीय सर्वेक्षणों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती रही है। दरअसल, जनगणना को हर 10 साल में कराया जाना चाहिए था, लेकिन कोरोना की वजह से सरकार इस टालती रही है।
वहीं, पूरे देश की जनगणना प्रक्रिया को पूरी करने में तकरीबन 2 साल का वक्त लगेगा। ऐसे में साफ है कि अगर सितंबर में जनगणना करना शुरू करते हैं तो अंतिम आंकड़े 2026 के अंत या फिर 2027 की शुरुआत तक की जारी किए जाएंगे। इसलिए इस बार की जनगणना का डेटा सिर्फ 2031 तक सीमित रखना तार्किक नहीं होगा।
जातियों की गणना (Census) के लिए एक्ट में करना होगा संसोधन
बता दें कि जनगणना एक्ट 1948 के तहत एससी-एसटी की गिनती का प्रावधान है। ओबीसी की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे ओबीसी की 2 हजार 650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। बता दें कि 2011 की जनगणना के मुताबिक, मार्च 2023 तक 1270 एससी, 478 एसटी जातियां हैं। वहीं, 2011 में एससी की आबादी 16.6 प्रतिशत और एसटी की 8.6 प्रतिशत थी।
योजनाएं-नीतियां बनाने के लिए जनगणना (Census) जरूरी
योजनाएं-नीतियां बनाने के लिए जनगणना को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इससे शासन- प्रशासन के लिए जनगणना का बेसिक डेटा बहुत महत्वपूर्ण है। जनगणना में जुटाए गए अहम आंकड़ों के आधार पर ही यह तय होता है कि विधानसभाओं और लोकसभा में कितनी सीटें आरक्षित होंगी। जनगणना के आधार पर ही सरकार समाज कल्याण संबंधी नीतियां बनाती है। जनगणना के बाद ही संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाएगा।
वहीं, राज्यसभा, विधानसभाओं और लोकसभा के निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या में 2026 तक बढ़ोत्तरी या फिर गिरावट हो सकती है। दरअसल, वर्ष 2021 की आबादी के मुताबिक निर्वाचन क्षेत्रों का नए सिरे से सीमांकन होना है। इसके हिसाब से सीटें बढ़ाई जा सकती हैं। वहीं बढ़ी हुई सीटों पर महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में एक-तिहाई सीटें आरक्षित होनी हैं।
जातीय जनगणना पर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने(Census)
जातीय जनगणना को लेकर भारतीय जनता पार्टी सहमत दिखाई नहीं दे रही है। एक तरफ बिहार में पार्टी इसका समर्थन करती है और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इसको लेकर कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष पर हमलावर है। भाजपा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कांग्रेस की जातीय जनगणना की मांग को देश बांटने वाला बताया था।(Census)
वहीं, SC-ST आयोग के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता विजय सोनकर शास्त्री ने बताया कि जनगणना में SC-ST ही क्यों, सभी की गिनती होनी चाहिए। कुछ जातियां ऐसी हैं, जो किसी भी राज्य में एससी-एसटी हैं किसी में ओबीसी में और कहीं पर सामान्य हैं, ऐसे में इसमें स्पष्टता आ जाएगी। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश का कहना है कि देरी से हो रही जनगणना में ओबीसी की गणना भी होनी चाहिए।(Census)
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