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पिता को लिवर डोनेट कर सकेगी नाबालिग बेटी; हाईकोर्ट से भी मिली परमिशन

MP News: इंदौर की नाबालिक बेटी अपने पिता को लीवर डोनेट कर सकती है. इस मामले में कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी गई हैं. सरकार ने कह दिया है कि लड़की पिता को लीवर डोनेट करने के लिए फिट है.

इंदौर में नाबालिग बेटी को अपने पिता को लिवर डोनेट करने की परमिशन मिल गई है। बेटी की याचिका पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने गुरुवार सुबह 10.30 बजे इसकी अनुमति दी। डॉक्टर आज ही सर्जरी कर सकते हैं।इससे पहले मंगलवार शाम सरकारी स्तर पर सहमति मिलने के बाद ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया निजी हॉस्पिटल में शुरू कर दी गई थी। पिता और डोनर बेटी को डॉक्टरों की टीम ने ऑब्जर्वेशन में ले लिया था।

इंदौर के शिवनारायण बाथम (42) का लिवर फेल हो गया है। उनकी कंडिशन क्रिटिकल है। डोनर नहीं मिलने पर नाबालिग बेटी प्रीति ने कहा था कि वह शिवनारायण को लिवर देना चाहती है। लेकिन उसकी उम्र 18 साल से दो महीने कम होने के चलते डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट में कानूनी अड़चन बता दी थी। इस पर नाबालिग ने 13 जून को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

दो हॉस्पिटल और कमिश्नर की रिपोर्ट्स को बनाया आधार

प्रीति के वकील नीलेश महोरे ने बताया, ‘गुरुवार को ग्वालियर बेंच के जज विशाल मिश्रा ने इंदौर बेंच में वर्चुअल सुनवाई की। कोर्ट ने 20 और 24 जून के ऑर्डर और रिपोर्ट के आधार पर लिवर ट्रांसप्लांट करने की परमिशन दी है। फैसले का आधार एमवाय हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड, एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन और भोपाल कमिश्नर की रिपोर्ट्स को आधार बनाया है।

महोरे ने बताया कि शिवनारायण प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हैं। मेडिकल चेकअप में प्रीति भी फिट पाई गई है।

हाईकोर्ट पहुंचा पिता-बेटी के अंग प्रत्यारोपण का केस

डॉक्टर्स का कहना था कि लिवर ट्रांसप्लांट करने का भी एक समय होता है। समय निकलने के बाद ट्रांसप्लांट का सक्सेस रेट कम हो जाता है। अगर मल्टी ऑर्गन फेलियर हो गया तो पेशेंट बीमार होकर वेंटिलेटर पर आ सकता है। लिवर ट्रांसप्लांट मुश्किल होगा। इस कारण नाबालिग बेटी को पिता को बचाने के लिए हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी थी।

क्या है पूरा मामला?

वहीं इस पूरे प्रकरण को लेकर 14 जून को अनुमति लेने के लिए नाबालिक बेटी ने इंदौर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. याचिका 42 वर्षीय शिव नारायण बाथम की ओर से लगाई गई. इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने मेडिकल ऑफिसर को नोटिस देते हुए तीन दिन में इसकी रिपोर्ट मांगी और 18 जून को अगली सुनवाई तय की गई. वहीं 18 जून को सुनवाई हुई तो हाई कोर्ट ने विशेष जूपिटर हॉस्पिटल से पूरे मामले में जवाब मांगा.

यहां शिव नारायण का इलाज चल रहा है, क्योंकि मरीज की मेडिकल रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश नहीं की गई थी. इसलिए 18 जून को सुनवाई करते हुए अगली तारीख 20 जून दे दी गई. उधर 20 जून को इंदौर हाई कोर्ट ने मेडिकल कमेटी का गठन किया और लीवर डोनेट करने को लेकर पूछा कि नाबालिक बेटी को भविष्य में कोई परेशानी तो नहीं आएगी? इस बात की जांच मेडिकल कमेटी करें. वहीं 24 जून को जो सुनवाई हुई उसमें स्वास्थ्य आयुक्त ने कोई जवाब पेश नहीं किया.

इसपर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि दो दिन के अंदर रिपोर्ट दें वरना स्वास्थ्य आयुक्त खुद उपस्थित होकर यह बताएं की लड़की अपने पिता को लीवर देने के लिए फिट है या नहीं? इधर 25 जून को इंदौर हाई कोर्ट की नाराजगी के बाद स्वास्थ्य आयुक्त  की तरफ से लीवर डोनेट करने के संबंध में अनुमति पत्र जारी कर दिया गया है, जिसके बाद अब अस्पताल में लीवर डोनेट करने संबंधित तैयारी चल रही है. 

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