अधिकांश व्यक्ति बीमारी के एक या दूसरे रूप के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। किसी भी प्रकार के मानसिक विकार, गुर्दे से संबंधित जटिलताओं या किसी अन्य चिकित्सीय चिंता की स्थिति में, व्यक्ति तुरंत एक योग्य चिकित्सक से चिकित्सा की तलाश करते हैं। चिकित्सक रोगी को ठीक करने के लिए दवा देता है। अगर डॉक्टर बीमार पड़ जाए तो इलाज कौन करेगा? भारत में डॉक्टरों की कमी एक गंभीर समस्या बन गई है। भारतीय सर्वेक्षण में डॉक्टरों की मानसिक स्थिति नाकाफी पाई गई।
राजस्थान में एक डॉक्टर ने की थी आत्महत्या
डॉक्टरों की मानसिक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजस्थान के दौसा में डॉ. अर्चना ने की थी आत्महत्या यह मामला राजस्थान क्षेत्र में बहुत अधिक मीडिया का ध्यान का विषय रहा था। मरीज के परिजन डॉ. अर्जुन को धमकाया जा रहा था। अर्जुन को धमकाया जा रहा था। अर्जुन को धमकाया जा रहा था। अर्जुन को विवश किया जा रहा था। अर्जुन को धमकियां दी जा रही थीं। डराने-धमकाने का काम अर्जुन को निर्देशित किया जा रहा था। अर्जुन पर अत्याचार किया जा रहा था। अर्जुन को जबरदस्ती का सामना करना पड़ रहा था। उसी के कारण हुए संकट के कारण डॉक्टर ने दुर्भाग्य से आत्महत्या का सहारा लिया। हालांकि, यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आते रहे हैं।
सर्वेक्षण में, 82% डॉक्टरों ने तनाव का अनुभव करने की सूचना दी।
हाल ही में आईएमई के सर्वे में डॉक्टरों की मनःस्थिति सामने आई थी। सर्वेक्षणों के अनुसार, देश में 82.7% डॉक्टर अपने-अपने क्षेत्र में पेशेवर तनाव का अनुभव करते हैं। IMAE ने देश भर के विभिन्न विभागों से संबद्ध 1,681 डॉक्टरों पर एक सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के अनुसार, 46.3% डॉक्टरों द्वारा संघर्ष, शारीरिक हमले और डराने-धमकाने सहित हिंसा के डर को तनाव के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान कारक बताया गया। डॉक्टर आपराधिक आरोपों का सामना करने की संभावना के बारे में आशंकित हैं, जो 13.7 प्रतिशत की दर से उनके पेशे पर मंडरा रहा है।
रोगी को पर्याप्त नींद प्राप्त करने या बनाए रखने में कठिनाई का अनुभव
चिकित्सक रोगी को 6 से 8 घंटे की आरामदायक नींद सुनिश्चित करने की सलाह देते हैं। हालांकि, रोगियों को चिकित्सा सलाह प्रदान करने वाले चिकित्सक अक्सर आरामदायक नींद प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं। उपरोक्त का उनके मानसिक कल्याण पर प्रभाव पड़ता है। अत्यधिक काम का दबाव और स्वस्थ आहार का पालन करने में असमर्थता इस स्थिति में योगदान देने वाले प्रमुख कारक हैं।
मानवता पहले, देवत्व बाद में।
आईएमए बुलंदशहर अध्यक्ष डॉ. संजीव अग्रवाल ने बताया कि डॉक्टर को लोगों ने देवता का दर्जा दे दिया है। इस तरह सभी उम्मीदें डॉक्टर से जुड़ी होती हैं। चिकित्सक हमेशा अपने रोगियों की भलाई के लिए प्रयास करता है। कोई भी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर गलत उपचार पद्धतियों में संलग्न नहीं होता है। हालांकि, कई मौकों पर देखभाल करने वाले गलत समझ लेते हैं और डॉक्टरों के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। यह व्यवहार उचित/पेशेवर नहीं है। रोगी और उनके परिचारक को यह समझना चाहिए कि एक डॉक्टर पहले एक इंसान होता है और फिर एक सम्मानित पेशेवर के रूप में सम्मानित होता है।
NOTE: इस आलेख में उल्लिखित तरीकों, तकनीकों और सुझावों को लागू करने से पहले डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ की सलाह लेने की सलाह दी जाती है।