मोटिवेशन : जब मन में डिप्रेसन जैसा कोई ख्याल आए तो क्या करे
हम सभी ने अपनी ज़िन्दगी के किसी ना किसी पड़ाव पर स्वयं को उदास और हताश महसूस किया होगा। असफलता, संघर्ष और किसी अपने से बिछड़ जाने के कारण दुखी होना बहुत ही आम और सामान्य है। परन्तु अगर अप्रसन्नता, दुःख, लाचारी, निराशा जैसी भावनायें कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक बनी रहती है और व्यक्ति को सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या जारी रखने में भी असमर्थ बना देती है तब यह डिप्रेशन नामक मानसिक रोग का संकेत हो सकता है।
WHO के अनुसार दुनियाभर में लगभग 30 करोड़ से ज़्यादा लोग इस समस्या से ग्रस्त है, भारत में यह आंकड़ा 5 करोड़ से ज़्यादा है जो कि एक बहुत गंभीर समस्या है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं के डिप्रेशन की समस्या से ग्रस्त होने की सम्भावना ज़्यादा होती है। मानसिक कारको के अलावा हार्मोन्स का असंतुलित होना, गर्भावस्था और अनुवांशिक विकृतियाँ भी डिप्रेशन का कारण हो सकती है।
महिलाओं से हमेशा समर्पण की उम्मीद की जाती है। लोग उनसे परफेक्शन और सकारात्मक रवैये की उम्मीद रखते हैं इसलिए भी वो हमेशा दूसरों की खुशी के लिए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हैं।
एक सर्वे में पाया गया है कि लाइफस्टाइल की वजह से हम खुद को मानसिक रूप से कामों से बाहर निकालना और रिलैक्स करना भूलते जा रहे हैं। 46 फीसदी लोग तो छुट्टी वाले दिनों में भी आराम नहीं कर पाते।
आप सालों से खुद की निंदा कर रहे हैं, और इसने काम नहीं किया.
खुद की सराहना करने की कोशिश करिए और देखिये क्या होता है.
1.दिन भर और खासकर सुबह के समय उदासी.
2.लगभग हर दिन थकावट और कमजोरी महसूस करना।
3.स्वयं को अयोग्य या दोषी मानना।
4.एकाग्र रहने तथा फैसले लेने में कठिनाई होना।
5.लगभग हर रोज़ बहुत अधिक या बहुत कम सोना।
6.सारी गतिविधियों में नीरसता आना।
7.बार–बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना।
8.बैचैनी या आलस्य महसूस होना।
9.अचानक से वजन बढ़ना या कम होना।
शायद रौशनी की कद्र समझने के लिए आपको अंधेरों को जानना होता है.
डिप्रेशन को दूर करने के लिए अच्छे मनोचिकित्सक से परामर्श ज़रूर करना चाहिए.
इस समस्या अच्छे से समझने की कोशिश करें और इसके लिए अपने चिकित्सक की सलाह लें।
अपने आपको अकेला न रहने दे, दोस्तों के साथ बहार जाएँ, लोगों से मिले जुले, गपशप करे।
खुद के लिए अप्राप्य लक्ष्य ना बनाये।
सुबह शाम टहलनें जाएँ।
अपने आप को काम में व्यस्त रखें।
उदासी भरे गानें ना सुने।
दिल ही दिल में घुटने की बजाये अपनी बाते किसी विश्वासपात्र या मनोचिकित्सक को ज़रूर बताये।
काम को करने के नए तरीके खोजे और नए–नए रास्तो से गुजरें।
यदि आप दुखी है तो भी ऐसा अभिनय कीजिये जैसे आप वास्तव में खुश है। सहकर्मियों के साथ हसना स्वस्थ्य के लिए अच्छा है
और जब हम रोते है तो कोई नहीं रोता हसने पर दुनिया साथ में हसने को तैयार हो जाती है।
सकारात्मक बातें पढ़िए और बोलिए
आर्ट ऑफ़ पॉजिटिव लिविंग का फायदा उठाये।
योग का सहारा ले और अनुलोम विलोम, प्राणायाम, ध्यान को सीखकर जीवन में उतारे।
अगर आपके पास इन्टरनेट है तो सकारात्मक कहानियाँ, विचार और उद्बोधन पढ़ें।
रात में सोने के एक घंटे पहले टीवी बंद कर दे क्योकि टीवी में अगर आप कुछ नकारात्मक देखतें है तो वह आपके अन्तर्मन में बना रहता है
याद रखे– आप ठीक है
डिप्रेशन एक बहुत ही आम लेकिन गंभीर समस्या है जिससे बाहर आने के लिए व्यक्ति को चिकित्सकीय सहायता की ज़रूरत होती है।
डिप्रेशन पागलपन नहीं होता है और डिप्रेशन के अधिकांश मरीज पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
डिप्रेशन के ईलाज के लिए सही जानकारी बहुत ज़रूरी है।