MP News: मुंबई की तरह भोपाल में रोपेक्स, भदभदा से बैरागढ़ 5 से 10 मिनट में पहुंचेंगे
MP News: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शनिवार को भोपाल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने भोपाल में बड़े तालाब में जल यातायात शुरू करने का सुझाव दिया।
मंत्री नितिन गडकरी ने सीएम डॉ. मोहन यादव को सुझाव देते हुए कहा कि मुंबई, गुजरात और ओडिशा की तर्ज पर बड़े तालाब में भी रोपेक्स शुरू किया जा सकता है। इससे शहर के दूरदराज के इलाकों में जाना आसान होगा।रवींद्र भवन में आयोजित इंडियन रोड कांग्रेस और पीडब्ल्यूडी के राष्ट्रीय सेमिनार में गडकरी ने दावा किया कि जिन शहरों में रोपेक्स चल रहे हैं, वहां घंटों की दूरी मिनटों में पूरी हो जाती है। प्रदूषण भी कम हाेगा। 15-20 करोड़ रुपए के निवेश से भोपाल की सूरत बदल सकती है। गडकरी ने कहा कि मैंने पहले भी तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़े तालाब पर रोपवे चलाने और इमर्स टनल (पानी के अंदर सुरंग) बनाकर शहर में जल यातायात की सलाह दी थी।
15 से 20 करोड़ का निवेश… सड़कों का दबाव घटेगा, डीजल न होने से प्रदूषण से राहत
कैसे मिलेगा भोपाल को फायदा…
- बड़ा तालाब शहर को नए व पुराने दो हिस्सों में बांटता है। भदभदा से बैरागढ़ तक सड़क से जाने के लिए 16.50 किमी के सफर में करीब 40 मिनट का समय लगता है। रोपेक्स से यह दूरी 5 से 10 मिनट में पूरी हो जाएगी। इससे कमला पार्क रोड पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा।
- मुंबई : अलीबाग जाने के लिए सड़क से 3 घंटे लगते थे। रोपेक्स से अब 17 मिनट लगते हैं। 2020 में मुंबई पहला महानगर बना जहां रोपेक्स शुरू हुआ।
- गंगा-ब्रह्मपुत्र के रास्ते में लोगों को 200 किमी घूमकर जाना पड़ता था। अब 17 जगहों पर रोपेक्स टर्मिनल हैं। इससे सफर का समय घटा है।
क्या है रोपेक्स
- रोपेक्स बड़े शिप होते हैं। ये 4-5 मंजिला होते हैं। लोग शिप्स में अपनी कार के साथ सवार हो सकते हैं। इनमें बस और ट्रक भी जा सकते हैं
- शिप की ऊपरी मंजिल पर लोग रेस्तरां में बैठ सकते हैं। कुछ मिनटों में एक से दूसरे किनारे पर पहुंच सकते हैं, जबकि सड़क से जाने में उन्हें घंटों लग सकते हैं।
…और अफसरों पर तंज भी
ये डीपीआर वाले इतने महान हैं कि इन्हें पद्मश्री-पद्म विभूषण देना चाहिए
नितिन गडकरी ने सेमिनार में एक किस्सा भी सुनाया। कहा- ‘मैं हेलिकॉप्टर से बेंगलुरू-चेन्नई एक्सप्रेस वे देख रहा था। तीन बड़े-बड़े टावर रोड पर दिखे। इन्हें हटाने के लिए 300-400 करोड़ खर्च कर रहे हैं। मेरे साथ मप्र के अच्छे अधिकारी थे। पांडे करके। मैंने कहा कि पांडे जी, तुमने आईआईटी पास किया है ना।
तुमको समझ में नहीं आता कि ये टावर थे, रास्ता थोड़ा सरका देते तो ये 400 करोड़ क्यों खर्च होते। बोले- साहब! डीपीआर बनाने वालों की गलती है।’ गडकरी ने कहा कि ये डीपीआर वाले तो इतने महान लोग हैं कि एक-एक को पद्मश्री-पद्म विभूषण देना चाहिए। यानी इंजीनियरिंग प्वाइंट ऑफ व्यू से कितने गंदे काम हो सकते हैं। घर बैठकर ही काम कर लेते हैं।
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