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MP News: इंडियन नेवी के लिए बन रही स्पेशल रोप, हजारों टन के जहाज को बांधने में सक्षम

MP News: इंदौर की एक कंपनी इंडियन नेवी के लिए स्पेशल रोप (रस्सियां) की मैन्युफैक्चरिंग कर रही है। इसके लिए अमेरिकन फाइबर का इस्तेमाल किया जा रहा है। कंपनी ने इंटरनेशनल पैरामीटर के आधार पर पतली और हल्की रोप बनाई हैं। यह रस्सियां अपने से कई सौ गुना भारी भरकम वजन उठाने में सक्षम हैं।

MP News: हाई-डेंसिटी पॉली एथिलिन (एचएमपीई) से बनी 50 मीटर की एक रस्सी का वजन महज 70 किलो है। यह रस्सी 160 टन वजनी सामान उठा लेती है। ऐसी कई रस्सियां मिलकर टनों वजनी जहाज को बांधे रखती हैं। एक और खास तरह की पतली और हल्की रस्सी भी बनाई गई है, जो ड्रोन से पहाड़ी या खाई की दूसरी ओर भेजी जाती है। जब यह बंध जाती है, तो उससे 25 टन वजनी सामान भेजा जा सकता है।

पीथमपुर स्थित टफरोप्स प्रा. कंपनी 30 सालों से डिफेंस सेक्टर में काम कर रही है। दो साल से कंपनी नए नाम टफरोप्स कॉर्टलैंड के नाम से संचालित की जा रही है। कंपनी ने गुरुवार को इंदौर में आयोजित रीजनल डिफेंस एमएसएमआई कॉन्क्लेव में रक्षा उत्पादन, रक्षा मंत्रालय, एमपीआईडीसी, सीआईआई आदि के अधिकारियों, एक्सपर्ट्स को इन रस्सियों की क्षमताओं और उपयोग के बारे में बताया।

रस्सियों के लिए स्पेशल तरह का फाइबर टफरोप्स कॉर्टलैंड कंपनी की पेरेंट कंपनी अमेरिका की कॉर्टलैंड इंटरनेशनल कंपनी है। यह वहां डिफेंस सेक्टर के लिए ऐसी रोप तैयार करती हैं। टफरोप के वैभव गणेश (प्रोडक्ट मैनेजर) ने बताया कि, इंदौर कोकॉर्टलैंड का इंटरनेशनल अनुभव मिल रहा है।

इंदौर की कंपनी ने इंडियन नेवी के लिए ऐसी रस्सी बनाई है, जो स्टील जैसी मजबूत है। इसका इस्तेमाल बड़े जहाजों को एंकर करने के लिए कर सकते हैं। कंपनी स्पेशल तरीके का फाइबर बनाती है, जो डिफेंस सेक्टर में कई इक्विपमेंट बनाने में यूज होता है। इससे पहले कंपनी नेवी के लिए 120 मिमी की फाइबर (पोली-प्रोपेलिन) की रस्सी बनाती थी।

यह जहाज को बांधने के लिए होती है। इसमें पहले हैवी फाइबर यूज करना पड़ता था। अब उसके स्थान पर बिल्कुल पतला और हल्का फाइबर यूज होता है। इसे प्लाज्मा एचएमपी कहते हैं। यह इंदौर में बनता है। इसका इस्तेमाल नेवी के मझगांव डॉक (कंपनी) सहित सैन्य क्षेत्र के कई अन्य साजो-सामान बनाने में किया जाता है।

MP News: सुरक्षा और विश्वसनीयता के कारण नेवी में ज्यादा इस्तेमाल

दरअसल पहले 120 मिमी की 50 मीटर रस्सी का वजन 450 किलो होता था और यह 160 टन वजन उठाती थी। अब 48 मिमी वाली 50 मीटर लम्बी रस्सी का वजन सिर्फ 70 किलो है। यह भी 160 टन वजन उठा सकती है और इतने ही टन भारी भरकम जहाज को बांधने के काम आती है। इसकी कीमत पहले से ज्यादा है, लेकिन क्वालिटी, मजबूती, कम वजन, सुरक्षा और विश्वसनीयता के कारण नेवी में इसका ज्यादा उपयोग होता है। इसका पूरा सर्टिफिकेशन भी रहता है। इसे डीएनवी, जीएल, आरएलएस आदि के अलावा आईएसओ, मैन्युफैक्चरर के सर्टिफिकेशन भी मिले हुए हैं।

MP News: रस्सी के लिए कंपनी ने रखी टैग लाइन ‘Securing those who secure our waters’

  • कंपनी एक बहुत ही पतली रस्सी का भी निर्माण करती है। इसका वजन 12 किलो और लंबाई 50 मीटर है। यह 25 टन वजन उठा लेती है।
  • यह पहाड़ियों, खाइयों तक सामान पहुंचाने के काम में आती है।
  • यह रस्सी फौज, नेवी, कोचिन शिपयार्ड के लिए काफी उपयोग होती है।
  • इसे ड्रोन के माध्यम से एक से दूसरे स्थान पर भेजा जाता है।
  • इन स्पेशल रस्सियों को लेकर कंपनी ने टैग लाइन ‘Securing those who secure our waters’ रखी गई है।

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