जिलों के प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति के साथ ही ख़त्म हुई ट्रांसफर पर लगी अड़चन | MP Transfer
भोपाल। मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिये राहत भरी खबर है। लंबे समय से ट्रांसफर (MP Transfer) पर लगी रोक अब जल्द ही हटेगी।
प्रभारी मंत्रियों के जिले के प्रभार तय नहीं होने से ये मामला अटका था। 12 अगस्त देर रात मंत्रियों को जिले के प्रभार सौंपने के साथ ही ये अड़चन खत्म हो गई है। एमपी में अब जल्द ही ट्रांसफर शुरु हो सकते हैं। (MP Transfer)
ट्रांसफर में प्रभारी मंत्री का अहम रोल | MP Transfer
ट्रांसफर में प्रभारी मंत्रियों का अहम रोल होता है। अब तक की ट्रांसफर नीति के अनुसार जिले के अंदर ट्रांसफर इनकी अनुशंसाओं के बिना नहीं हो सकते।
पटवारी, सचिव जैसे जमीनी स्तर पर काम करने वाले अन्य कर्मचारियों के ट्रांसफर (MP Transfer) सामान्यत: जिले के अंदर ही होते हैं। इसके अलावा जिले के अंदर या बाहर के ट्रांसफर में भी अप्रत्यक्ष रूप से मंत्रियों की बड़ी भूमिका होती है।
15 अगस्त के बाद तारीख का ऐलान
मंत्रियों को जिलों के प्रभार सौंपने के बाद अब ट्रांसफर पर रोक हटाने में कोई अड़चन नहीं बची है। माना जा रहा है कि 15 अगस्त के बाद ट्रांसफर से रोक हटाई जा सकती है। जिसके बाद कर्मचारी अपने ट्रांसफर (MP Transfer) करा सकेंगे। ट्रांसफर नीति पहले ही बनकर तैयार है।
जुलाई में इसलिए शुरु नहीं हुए ट्रांसफर | MP Transfer
मंत्री नागर सिंह चौहान से वन विभाग और पर्यावरण मंत्रालय वापस लेकर रामनिवास रावत को दे दिये थे। इससे नाराज चल रहे नागर सिंह चौहान ने 22 जुलाई को सियासी बम फोड़ दिया। उन्होंने इस्तीफे तक की बात कर दी थी।
नाराज चौहान को मनाने में एक दो दिन का वक्त लगा। इस बीच 25 जुलाई से ट्रांसफर पर रोक हटने की बात आई गई हो गई।
जुलाई में ही दो बार टली तारीख
अब तक जुलाई माह में ही दो बार तारीख टल चुकी है। पहले माना जा रहा था कि 15 जुलाई से ट्रांसफर प्रक्रिया शुरु हो जाएगी। लेकिन तबादला नीति पर फाइनल मुहर नहीं लग जाने से ये मामला लटका रहा।
उसके बाद 22 जुलाई को इस पर चर्चा कर 25 जुलाई से ट्रांसफर (MP Transfer) शुरु होने थे, लेकिन इस बार भी ये तारीख आगे के लिए टल गई।
ये ट्रांसफर पॉलिसी है प्रस्तावित
- जिले के भीतर प्रभारी मंत्री के अप्रूवल से ट्रांसफर हो सकते हैं।
- जिले के बाहर और विभागों में तबादलों पर सीएम की अनुमति जरुरी।
- नीति के अंतर्गत 200 कर्मचारियों की संख्या वाले संवर्ग में 20% से ज्यादा तबादले नहीं।
- नीति के तहत 201 से 2000 तक के संवर्ग में 10% से ज्यादा तबादले नहीं।
- दो हजार से ज्यादा संख्या होने पर 5 फीसदी तबादले किए जाने का नियम है।
इस तरह हो सकेंगे तबादले
प्रथम श्रेणी के सभी अधिकारियों के तबादले मुख्यमंत्री (CM Mohan Yadav) के अनुमोदन से होंगे।
द्वितीय और तृतीय श्रेणी के अधिकारियों के विभागीय मंत्री और जिले के भीतर कर्मचारियों के तबादले कलेक्टर के माध्यम से होंगे।
हालांकि इसके लिए प्रभारी मंत्री की परमिशन लेना अनिवार्य होगा। तबादला नीति का पालन सुनिश्चित करने का दायित्व विभागीय अधिकारियों को दिया गया है।