PM मोदी ने 32वें ICAE का किया उद्घाटन : कहा- छोटे किसान ही फूड सिक्योरिटी की सबसे बड़ी ताकत
ICAE: पीएम मोदी ने कहा कि एग्रीकल्चर हमारी इकॉनमिक पॉलिसी का केंद्र है. यहां करीब 90% परिवार ऐसे हैं, जिनके पास बहुत कम जमीन हैं, ये छोटे किसान ही भारत की फूड सिक्योरिटी की बड़ी ताकत हैं।
32nd International Conference of Agricultural Economists: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार 3 अगस्त 2024 को दिल्ली में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICAE) का उद्घाटन किया, इस अवसर पर PM मोदी US कहा कि भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन एग्रीकल्चर और फूड को लेकर हमारी मान्यताएं हैं, हमारे अनुभव हैं। ये कॉन्फ्रेंस नई दिल्ली के राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (NASC) परिसर में हो रही है।
यह कॉन्फ्रेंस दुनियाभर में खेती और उससे जुड़ी समस्याओं और उसके समाधान खोजने के लिए हर तीन साल में आयोजित की जाती है। भारत में इसका आयोजन 65 साल के बाद किया जा रहा है। यहां इसका आयोजन 2 से 7 अगस्त तक होगा।दुनियाभर में खेती और उससे जुड़ी समस्याओं और उसके समाधान खोजने के लिए हर तीन साल में यह कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाती है। कॉन्फ्रेंस में लगभग 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
PM मोदी का संबोधन
सभी का किया स्वागत:
मुझे खुशी है कि 65 साल के बाद ICAE की ये कॉन्फ्रेंस भारत में फिर हो रही है। आप दुनिया के अलग-अलग देशों से भारत आए हैं। भारत के 120 मिलियन किसानों की तरफ से आपका स्वागत है। भारत की 30 मिलियन से ज्यादा महिला किसानों की तरफ से आपका स्वागत है। देश के 30 मिलियन फिशरमैन की तरफ से आपका स्वागत है। देश के 80 मिलियन पशुपालकों की तरफ से आपका स्वागत है। आप आज उस देश में हैं, जहां 550 मिलियन पशु हैं। जीव प्रेमी भारत में आपका स्वागत है, अभिनंदन है।
‘दुनिया को ग्लोबल न्यूट्रीशन सिक्योरिटी का सॉल्यूशन दे रहा भारत’-PM
PM मोदी ने कहा कि आईसीएई के पहले आयोजन को याद करते हुए कहा कि एक वो समय था जब भारत की फूड सिक्योरिटी दुनिया की चिंता का विषय था, और एक आज का समय है, जब भारत ग्लोबल फूड सिक्योरिटी, ग्लोबल न्यूट्रीशन सिक्योरिटी का सॉल्यूशन देने में जुटा है. आज दुनिया भर में भोजन और पोषण को लेकर इतनी चिंता है, लेकिन हजारों साल पहले हमारे शास्त्रों में कहा गया था कि सभी तत्वों में भोजन सर्वोच्च है, इसलिए भोजन को सभी औषधियों का आधार माना जाता है. हमारे आयुर्वेदिक विज्ञान में औषधीय गुणों वाले भोजन के उपयोग की पूरी समझ है. यह पारंपरिक ज्ञान प्रणाली भारत के सामाजिक जीवन का एक हिस्सा है. भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन इसकी कृषि और खाद्यान्न से जुड़ी मान्यताएं और अनुभव भी हैं. भारतीय कृषि परंपरा में विज्ञान और तर्क को प्राथमिकता दी गई है।
छोटे किसान ही भारत की फूड सिक्योरिटी की सबसे बड़ी ताकत-PM
PM-एग्रीकल्चर हमारे इकोनॉमिक पॉलिसी का केंद्र है। हमारे यहां करीब 90% परिवार ऐसे हैं, जिनके पास बहुत कम जमीन हैं, ये छोटे किसान ही भारत की फूड सिक्योरिटी की सबसे बड़ी ताकत हैं। यही स्थिति एशिया के कई विकासशील देशों में है, इसलिए भारत का मॉडल कई देशों में काम आ सकता है।
भारत दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक-PM
पिछली बार जब ICAE की कॉन्फ्रेंस यहां हुई थी, तब भारत को उस समय नई आजादी मिली थी। वह भारत की फूड सिक्योरिटी को लेकर भारत के एग्रीकल्चर को लेकर चुनौतियों से भरा समय था। आज भारत फूड सरप्लस देश है। आज भारत दूध, दाल और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है।
भारत ने बाजरे को श्रीअन्न की पहचान दी :
Bharat (भारत) बाजरे का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है। जिन्हें दुनिया सुपर फूड कहती है और उसे हमने श्रीअन्न की पहचान दी है। भारत के अलग-अलग सुपर फूड ग्लोबल न्यूट्रिशन की समस्या को समाप्त करने में एक अहम भूमिका निभा सकते हैं। भारत अपने सुपर फूड की इस बास्केट को दुनिया के साथ साझा करना चाहता है।
भारत ने किसान नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा बनाई :
मुझे पता नहीं है कि दुनिया में कहीं किसी किसान की कोई प्रतिमा हो, लेकिन भारत में आजादी के आंदोलन में जिस महापुरुष ने किसान शक्ति को जागृत किया, किसानों को आजादी के आंदोलन से जोड़ा, उस किसान नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा भारत में है।
भारत की कृषि विकास दर दुनिया में सबसे ज्यादा
इस आयोजन में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की कृषि विकास दर दुनिया में सबसे ज्यादा बनी हुई है। उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ भारत की चिंता भी रही है कि वो उत्पादन मानव शरीर के लिए भी और मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित उत्पादन हो, भारत अब प्राकृतिक खेती पर बल दे रहा है।
कॉन्फ्रेंस का विषय है ट्रांसफॉर्मेशन टुवर्ड्स सस्टेनेबल एग्री-फूड सिस्टम्स
इस साल के कॉन्फ्रेंस का विषय ‘ट्रांसफॉर्मेशन टुवर्ड्स सस्टेनेबल एग्री-फूड सिस्टम्स’ है। इस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य क्लाइमेट चेंज, नेचुरल रिसोर्स का डिग्रेडेशन, प्रोडक्शन कॉस्ट में बढ़ोतरी और ग्लोबल कनफ्लिक्ट जैसी समस्याओं से निपटना है।इस कॉन्फ्रेंस में दुनियाभर में एग्रीकल्चर से जुड़ी चुनौतियों के प्रति भारत के प्रोएक्टिव अप्रोच को हाईलाइट करने के साथ-साथ देश की एग्रीकल्चर रिसर्च और पॉलिसी में हुई ग्रोथ को दिखाया जाएगा।
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