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मध्यप्रदेश

राधा रानी को लेकर भिड़े प्रदीप मिश्रा और प्रेमानंद महाराज, ब्रज में आक्रोश

देश के दो सनातनी कथावाचकों में बरसाना की राधा रानी को लेकर जंग थम नहीं रही है। मथुरा के संत प्रेमानंद जी द्वारा कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा पर राधा रानी के प्रसंग को लेकर दिए गए वक्तव्य पर कड़ी आपत्ति जताई गई थी। उन्होंने कथावाचक मिश्रा को अज्ञानी बताते हुए घोर निंदा भी की थी।

इस पर ओमकारीश्वास के थापना में शिव पुराण कथा कर रहे पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जिसे भी राधा रानी के प्रसंग पर प्रमाण चाहिए वह सीहोर के कुबेरेश्वर धाम आएं। उन्होंने कहा कि राधा रानी का नाम भगवान श्री कृष्ण की पत्नियों में नहीं है, यह बात उन्होंने सप्रमाण कही है। कुछ लोग बेवजह शिव पुराण कथा और उन्हें बदनाम करना चाहते हैं।

वे राधा रानी के अनन्य भक्त हैं। राधा जी के विवाह और बरसाने में रहने की लेकर जो बात कही है, उसका उल्लेख ब्रह्मदेवत्व पुराण, राधा रहस्य और काली पीठ में भी है। उनके द्वारा राधा जी के संबंध में दिए गए वक्तव्य लेकर कुछ संत और लोग इंटरनेट मीडिया पर अनर्गल टिप्पणी कर रहे हैं। किसी को कोई आपत्ति हो तो वह चर्चा के लिए तैयार हैं।

विंध्यांचल पर्वत पर ओम का नाद कर स्वयं शिव ने की ओंकारेश्वर शिवलिंग की स्थापना

जब कोई भक्त अपने मन में असीम श्रद्धा और अटूट विश्वास के साथ शिवजी को जल अर्पित करता है, तब करुणामय भगवान शिव उस भक्त की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। भगवान शिव सबका मंगल करते हैं और संपूर्ण ब्रह्मांड का कल्याण करते हैं।

यह बात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने ग्राम थापना में चल रही शिव महापुराण के चतुर्थ दिवस प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने पवित्र रेवा तट स्थित विंध्य पर्वत पर ओम का नाद कर स्वयं को ओंकारेश्वर के रूप में प्रकट किया और वरदान दिया कि विंध्यांचल पर्वत पर प्रकट ओंकारेश्वर शिवलिंग संपूर्ण विश्व का कल्याण करेगा।

पंडित मिश्रा ने विंध्य पर्वत और सुमेरू पर्वत की प्रतिस्पर्धा की कथा सुनाते हुए कहा कि विंध्य पर्वत और सुमेरू पर्वत स्वयं को बड़ा बताने की प्रतिस्पर्धा कर रहे थे और अपना आकार बढ़ा रहे थे। शिवपुराण कथा श्रवण के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे है।

इससे पंडाल भी छोटा पड़ रहा है। लोग सड़क किनारे पेड़ के नीचे बैठकर कथा सुन रहे है। कथा के प्रसंगों व भजनों पर मातृशक्ति ने जमकर नृत्य किया। बुधवार को कलेक्टर अनूप कुमार सिंह और एसपी मनोज राय ने भी कथास्थल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को जायजा लिया।

व्यास पीठ से पंडित मिश्रा ने कहा कि भक्त का विश्वास और दृढ़ता ही भक्त को उसकी मंजिल तक पहुंचाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन अर्चन करने तथा उस पार्थिव शिवलिंग का पवित्र जगह पर विसर्जन करने से महादेव भक्त के दुःख दूर करते हैं। पंडितजी ने शिव पार्वती के विवाह के प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महर्षि नारद मुनि ने पार्वती का भाग्य बताते हुए भविष्यवाणी की थी कि पार्वती जी के पति मृग चर्मधारी कंदराओं के निवासी, जटाजूटधारी,भस्मधारी महादेव होंगे।

जब महादेव पार्वती को विवाह करके नंदी पर बिठाकर लौट रहे थे। रास्ते में श्मशान आया तो महादेव ने नंदी को रोक दिया। पार्वती ने महादेव से पूछा कि क्या यही हमारा घर है। तब महादेव ने उत्तर दिया कि कैलाश पर्वत हो या श्मशान हो,घर की नारी चाहे तो श्मशान को महल और महल को श्मशान बना सकती है। उन्होने कहा कि जब नारी पूरी तन्मयता के साथ भगवान शिव की भक्ति में डूबती है तो उस नारी के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

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