fbpx
Life Styleस्वास्थ्य

स्यूडोबुलबर अफेक्ट (Pseudobulbar Affect) क्या आपको भी तो नहीं ये बीमारी, जानिए लक्षण ?

हंसना और रोना मानव के जीवित होने का प्रमाण है लेकिन क्या अपने हंसी को आंसु को ना रोक पाना किसी बीमारी का लक्षण तो नहीं। हम सब के जीवन में ऐसे क्षण आते है कि हम अपने आसुओं और हसी को नहीं रोक पाते है लेकिन रोजाना ऐसा होना की खतरें की घंटीं तो नहीं है। आज के टाइम में अनेक बीमारियां निकल कर सामने आ रही है एक ऐसी ही बीमारी को हम आपसे बताने जा रहे है

शायद ही आपने सुना होगा कि स्यूडोबुलबर अफेक्ट (Pseudobulbar Affect) के बारे में दरअसल यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें इससे प्रभावित शख्स अपना हंसना-रोना या कोई भी इमोशन कंट्रोल नहीं कर पाता है।

क्या होती है स्यूडोबुलबर अफेक्ट ?(Pseudobulbar Affect)

स्यूडोबुलबर अफेक्ट (Pseudobulbar Affect) एक ऐसी अवस्था है, जिससे प्रभावित शख्स अचानक बेकाबू और अनुचित रूप से हंसने या रोने लगता है। वह अगर हंसता है तो कई मिनट तक हंसता रहता है और अगर रोता है तो कई मिनट तक रोता ही रहता है। आमतौर पर स्यूडोबुलबर अफेक्ट एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन के कारण होता है। आसान शब्दों में समझे तो हमारी सारी भावनाएं हमारे ब्रेन से कंट्रोल होती है। जब हमारे न्युरो ठीक से काम नहीं करती है तो स्थिति देखने को मिलती है।

अनियंत्रित हो कर हंसना स्यूडोबुलबर अफेक्ट के लक्षण  

स्यूडोबुलबर अफेक्ट (Pseudobulbar Affect) से प्रभावित शख्स बिना मन के अनियंत्रित तरीके से हंसने या रोने लगता है। जबकि हंसने या रोने का उस शख्स की भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं होता है। यह हंसी ऐसी होती है कि आसपास देख रहे लोग डर सकते हैं। 15-20 मिनट तक लगातार हंसने के बाद लोग बुरी तरह थक जाते हैं और आंसू तक आ जाते हैं। हंसने की तुलना में रोना स्यूडोबुलबर अफेक्ट का अधिक सामान्य लक्षण है। जिस कारण कई बार शख्स को शर्मींदा होना पड़ता है इसका असर उसके रिश्तों कामकाज और जीवनशैली पर भी पड़ता है।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट से किसे रहना है अधिक सावधान

स्यूडोबुलबर अफेक्ट उन सभी बच्चों और वयस्कों को प्रभावित कर सकता है, जो किसी न्यूरोलॉजिकल कंडीशन का सामना कर रहे हैं।

स्टडीज के मुताबिक इन न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस में स्यूडोबुलबर अफेक्ट का अधिक जोखिम होता है:

स्यूडोबुलबर अफेक्ट के 50% पेशेंट एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (ALS) से पीड़ित हैं।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट के 48% पेशेंट गंभीर ब्रेन इंजरी से प्रभावित हैं।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट के 46% पेशेंट मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) से पीड़ित हैं।

क्यो होता है स्यूडोबुलबर अफेक्ट  

अभी तक रिसर्चर्स स्यूडोबुलबर अफेक्ट का सटीक कारण नहीं जानते हैं। हां, यह जरूर तय है कि जब हमारे ब्रेन में इमोशनल एक्सप्रेशन को कंट्रोल करने वाले न्यूरोलॉजिकल पाथवेज (रास्ते) में कोई व्यवधान आता है, तभी ऐसा होता है।

कई न्यूरोलॉजिकल कंडीशंस इस व्यवधान का कारण बन सकती हैं और स्यूडोबुलबर अफेक्ट के ज्यादातर मामलों में ये कंडीशंस भी देखने को मिलती हैं।

स्यूडोबुलबर अफेक्ट का क्या इलाज है?

न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार स्यूडोबुलबर अफेक्ट का अभी तक कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ दवाएं इसके मैनेजमेंट में हेल्पफुल हो सकती हैं। इस ट्रीटमेंट में सिर्फ हंसने या रोने की फ्रीक्वेंसी और गंभीरता को कम किया जा सकता है। इस इलाज के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि डॉक्टर से सभी साइड इफेक्ट्स के बारे में बात करने के बाद ही कोई ट्रीटमेंट लिया जाए।

अमेरिका में करीब 20 से 70 लाख लोगों को है ये बीमारी

क्लीवलैंड क्लिनिक के एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में करीब 20 से 70 लाख लोग स्यूडोबुलबर अफेक्ट से जूझ रहे हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि इतने सारे लोगों में कोई कम बीमार हो सकता है, जबकि किसी की कंडीशन गंभीर हो सकती है।

इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया में स्यूडोबुलबर अफेक्ट से जूझ रहे लोगों की संख्या काफी ज्यादा हो सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
देखिये! NIRF Ranking 2024 के टॉप 10 यूनिवर्सिटीज देखिये पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का सफर जानें बजट 2024 में बिहार के हिस्से में क्या-क्या आया जानिए मोदी 3.0 के पहले बजट की 10 बड़ी बातें राजस्थान BSTC PRE DELED का रिजल्ट हुआ ज़ारी ऐसा क्या हुआ कि राज्यसभा में घटी बीजेपी की ताकत, देखिये प्रधानमंत्री मोदी के हुए X (Twitter ) पर 100 मिलियन फॉलोवर्स आखिर कौन है IAS पूजा खेड़कर, जानिए इनसे जुड़े विवादों का पूरा सच Derrick White replaces Kawhi Leonard on US Olympic roster