Rakshabandhan : त्योहार के नजदीक आते ही ‘सफेद जहर’ खेल का दिल्ली, महाराष्ट्र, अहमदाबाद तक नेटवर्क
Rakshabandhan : पर्व पर जहां बहनों को भाईयों की कलाई में रक्षा का धागा बांधने का बेसब्री से इंतजार है, वहीं दूर-दराज बसे भाइयों को भी इस बात का इंतजार है कि उनकी बहना उन्हें राखी भेजे। भाई-बहन के अटूट प्यार का प्रतीक व पवित्र धागों का त्योहार रक्षा बंधन प्रखंड मुख्यालय सहित बसकूपी, पाथरौल, टेकरा, सिरसा आदि जगहों में 12 अगस्त को मनाया जाएगा। इसकी तैयारी में बहनें जुटी हुई हैं। दुकानें विभिन्न प्रकार की राखियों से सज गई है। जिसकी खरीदारी जोरों पर हो रही है। चारों ओर पर्व से संबंधित गीतों की गूंज सुनाई देने लगी है।
रक्षाबंधन के त्योहार के लिए सजे बाजार में विभिन्न डिजाइन की राखियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। Rakshabandhan पर्व ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है तमाम बहनों ने बाहर रहने वाले भाइयों को अभी से राखियां भेजना शुरू कर दिया है। दुकानदार तपन बल ने बताया कि इस साल पांच से डेढ़ सौ रुपए तक की रखियां बेची जा रही है। उल्लेखनीय है कि पर्व के दौरान भाई-बहन के स्नेह का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। उधर ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार से अपने यजमानों सहित अन्य लोगों को राखी बांधी जाती है।
Rakshabandhan के दौरान ग्वालियर और आसपास के इलाकों में मिलावटी मावा और पनीर की आपूर्ति तेजी से बढ़ गई है। भिंड-मुरैना से ग्वालियर होते हुए दिल्ली, महाराष्ट्र, और अहमदाबाद तक यह सामग्री भेजी जाती है। मिलावट रोकने के लिए सीमाओं पर चेकिंग और सूचना तंत्र को मजबूत किया जा रहा है।
ग्वालियर। Rakshabandhan त्योहार के नजदीक आते ही सफेद जहर का गंदा खेल शुरू हो गया है। भिंड-मुरैना में बनने वाले मिलावटी मावा व पनीर की सप्लाई चोरी छिपे हो रही है। सफेद दूध के इस काले धंधे का नेटवर्क दिल्ली, महाराष्ट्र, अहमदाबाद तक फैला हुआ है, जिसे बस व ट्रेन के जरिए यहां तक पहुंचाया जाता है।
Rakshabandhan प्रशासन को भनक भी नहीं
Rakshabandhan : मिलावटखोर मावा व पनीर को रैकी कर सुरक्षित बस-ट्रेन तक पहुंचाते हैं। इसकी भनक खाद्य सुरक्षा प्रशासन को नहीं लगती। मिलावटखोरों के आगे विभाग का मुखबिर तंत्र भी फेल है। महीने में एक-दो बार ही खाद्य सुरक्षा प्रशासन की पकड़ में मावा-पनीर आ पाता है, जबकि हर दिन एक से डेढ़ क्विंटल से अधिक मावा की सप्लाई ग्वालियर से दूसरे राज्यों तक हो रही है।
भिंड में 70-80 अवैध डेयरियां
भिंड जिले में रजिस्टर्ड डेयरियां भले ही 126 हैं, लेकिन 70 से 80 डेयरियां अवैध तरीके से संचालित हैं। डेयरियों पर रोजाना एक डेयरी पर एक से डेढ़ क्विंटल मावा तैयार किया जाता है। यहां तैयार मावे को दिल्ली, महाराष्ट्र, अहमदाबाद व अन्य दूसरे राज्यों में ग्वालियर के रास्ते भेजा जाता है।
Rakshabandhan : रात में ग्वालियर तक पहुंचाते हैं माल
Rakshabandhan : ग्वालियर तक मावे को पहुंचाने के लिए बस, लोडिंग ऑटो का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इसे गांव के रास्ते ही सुरक्षित ग्वालियर तक लाया जाता है। ज्यादातर रात के समय ही माल ग्वालियर तक पहुंचाया जाता है। इस पर अंकुश लगाने के लिए न कभी नाकाबंदी की गई और न ही प्रभावी चेकिंग हुई। यही कारण है कि मिलावटखोरी का नेटवर्क दूसरे राज्यों तक फैल चुका है।
ग्वालियर में बाहर से आने वाले दूध एवं दूध उत्पादों की चेकिंग करने के लिए हाल ही में जिले की सीमाओं पर चेकिंग प्वाइंट के स्थान तय किए गए। मिलावट रोकने के लिए सूचना तंत्र मजबूत करने के भी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। वहीं आमजन खाद्य पदार्थो में मिलावटी संबंधी शिकायत दर्ज कर सके इसके लिए मोबाइल नंबर भी जारी किया गया। मिलावट रोकने के लिए विभाग काम कर रहा है।
– डॉ.आरके राजौरिया, अभिहित अधिकारी व सीएमएचओ, ग्वालियर