भिक्षावृत्ति रोकने के लिए रेस्क्यू, महिला बाल विकास की टीम ने चिन्हित स्थानों का किया निरीक्षण
पिछले कुछ सालों में दमोह शहर में भीख मांगने वाले बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। यह शहरी क्षेत्रों में विशेष रूप से स्पष्ट है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बच्चों को भीख मांगना अधिक लाभदायक लगता है।
इस भीख को रोकने के लिए दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने महिला एवं बाल विकास अधिकारियों को बच्चों को छुड़ाने का निर्देश दिया है और अब महिला एवं बाल विकास अधिकारी चिन्हित क्षेत्र में जाकर लोगों को अपने बच्चों से भीख न मांगने की समझाइश दे रही हैं.
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रदीप कुमार राय के नेतृत्व में टीम का गठन जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष एवं इसके सभी सदस्यों, विशेष किशोर पुलिस विभाग की इकाई व चाइल्ड लाइन के अधिकारी।
इस टीम ने सबसे पहले कैदों की तलैया के कीर्ति स्तंभ चौक पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर वहां के लोगों को जागरूक किया कि भीख मांगना सम्मानजनक गतिविधि नहीं है. साथ ही यह भी बताया कि यदि किसी बच्चे की पढ़ाई में दिक्कत हो तो उसकी योग्यता के आधार पर अनिवार्य या निःशुल्क स्कूल में भेजा जाए। विभिन्न सरकारी योजनाओं से बच्चे को उसकी जरूरत के हिसाब से स्कूल से जोड़ने में मदद मिलेगी।
चिन्हित बच्चों के साथ टीम द्वारा स्थानीय स्कूल का दौरा किया गया, जिसके बाद टीम घंटाघर चौराहा पहुंची। वहां एक महिला गोद में छोटे बच्चे के साथ 2 अन्य लड़कियों के साथ भीख मांगती मिली। उसे तुरंत वन स्टॉप सेंटर भेजा गया। इसके बाद टीम ने शहर में कई जगहों का दौरा किया। अब इस तरह की कार्रवाई लगातार जारी रहेगी