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Sawan Shivratri 2024 : दुर्लभ संयोग में श्रावण शिवरात्रि, जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय

Sawan Shivratri : सावन महीने की शिवरात्रि का शुभ योग आज है। इस शिवरात्रि का अपना एक खास महत्व होता है। इस दिन लोग व्रत रखते है और शिव-पार्वती की पूजा करते है।

Sawan Shivratri 2024: आज यानी 02 अगस्त के दिन सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। ये दिन शिव जी की पूजा करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। मान्यता है कि सावन शिवरात्रि पर महादेव की पूजा के साथ-साथ शिवलिंग का जलाभिषेक करने पर मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती हैं। साथ ही सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। 

सावन शिवरात्रि के खास दिन पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समय सुबह 10:59 से लेकर 3 अगस्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक रहने वाला है। ऐसे में भगवान शिव की अर्चना करने से तरक्की के योग का निर्माण होता है। इस दिन व्रत रखने का भी विधान है।

वहीं 22 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा का समापन सावन शिवरात्रि यानी आज होगा। इस दौरान सभी कांवड़िए गंगा तट से लाए हुए जल को शिवलिंग पर अर्पित करेंगे। इस दौरान पूजा करने से यात्रा का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। वहीं कुछ लोग घर या मंदिरों में शिव जी की पूजा करते हैं। ऐसे में आइए महादेव की पूजा विधि के बारे में जान लेते हैं।

Sawan Shivratri पर 19 साल बाद दुर्लभ संयोग

सावन शिवरात्रि 19 साल बाद आर्द्रा नक्षत्र में मनाई जाएगी। आर्द्रा नक्षत्र के देवता रूद्र (शिव) माने गए है। आर्द्रा नक्षत्र 1 अगस्त को सुबह 10.24 से शुरू होगा और 2 अगस्त 2024 को सुबह 10.59 पर समाप्त होगा। ऐसे में इस दौरान शिव पूजा का दोगुना फल मिलेगा।

Sawan Shivratri शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4 बजकर 31 मिनट से 5 बजकर 15 मिनट तक रहेगा।
  • विजय मुहूर्त – दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 37 मिनट तक रहने वाला है।
  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 08 मिनट से 08 बजकर 13 मिनट तक होगा।
  • निशिता मुहूर्त – रात 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
  • सर्वार्थ सिद्धि योग – 2 अगस्त 2024 सुबह 10 बजकर 59 मिनट से 3 अगस्त 2024 को सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगा।

Sawan Shivratri पूजा सामग्री

भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, धतूरा, भांग, बेर, गुलाल और सफेद चंदन को शामिल करें। साथ ही दूध दही, कपूर, धूप, दीप, रूई, शहद, घी,पंच फल, गन्ने का रस, गंगाजल, और श्रृंगार की सामग्री को भी रखें। माना जाता है कि इन सामग्रियों से पूजा करने पर महादेव प्रसन्न होते हैं।

जलाभिषेक विधि

सावन शिवरात्रि पर यदि आप महादेव का जलाभिषेक करते हैं, तो सबसे पहले शिवलिंग का दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, गन्ने के रस से अभिषेक करें। इसके बाद एक लोटे में गंगाजल लें। जल में काला तिल मिलाकर रख लें। फिर शिव जी के मंत्र का जाप करें। अब इस जल को शिवलिंग पर अर्पित कर दें। इसके बाद आप फूल, फल और मिठाई आदि चीजों को अर्पित करते जाएं। बाद में आटे का चौमुखी दीपक जलाकर महादेव की आरती करें।

रुद्राभिषेक विधि

रुद्राभिषेक करने के लिए पहले शिवलिंग पर जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करें। फिर शिवलिंग पर चावल चढ़ाएं। इस दौरान फूल, बेलपत्र, धतूरा, और भांग भी अर्पित करते रहें। बाद में आरती करते हुए शंखनाद करें।

महादेव पूजन विधि

सावन शिवरात्रि पर सुबह ही स्नान कर लें। फिर पूजा स्थल पर सभी सामग्रियों को एकत्रित करते हुए, पूजा की तैयारी शुरू करें। घर या मंदिर जहां भी पूजा करनी है, वहां पर अपना स्थान लें। सबसे पहले शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद शिव जी को बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल चढ़ाएं। फिर महादेव को आक का फूल अर्पित करें। अंत में शिव चालीसा का पाठ करें।

भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र

ओम साधो जातये नम:।। ओम वाम देवाय नम:।।

ओम अघोराय नम:।। ओम तत्पुरूषाय नम:।।

ओम ईशानाय नम:।। ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।

शिव जी की आरती 

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसानन गरूड़ासन

वृषवाहन साजे।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला।

शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी।।

ओम जय शिव ओंकारा।।

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे।।

ओम जय शिव ओंकारा।। ओम जय  शिव ओंकारा।।

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