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मध्यप्रदेश

मप्र : तीन सरकारों का कार्यकाल बीता, तीनों के शपथ समारोह के बिल भुगतान अब तक अटके

MADHYA PRADESH : एमपी अजब है, सबसे गजब है और इस लाइन को खुद मप्र की सरकार भी मानती आ रही है इसीलिए तो सत्ता में बैठने के पहले होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में शपथ तो ले ली लेकिन उसी समारोह के आयोजन से जुड़ें बिल अभी तक बकाया है जी हाँ ! मप्र में पिछले तीन शपथ ग्रहण समारोह के साज-सज्जा का बिल अभी तक बकाया है और प्रदेश में लालफीताशाही का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि जब चौथा शपथ समारोह होने को है, तब जाकर बिल भुगतान की एक चिट्ठी चली है। सवाल यह भी है कि सीधे जब मुख्यमंत्री से जुड़े मामलों में ऐसी लापरवाही हो सकती है तो दूसरे सामान्य मामलों में तो क्या ही नहीं होता होगा ?

जाने ! क्या है पूरा मामला

मध्यप्रदेश विधानसभा के परिणाम 3 दिसंबर को आ जायेंगे। जिस भी पार्टी को बहुमत मिलेगा, उसके विधायक दल का नेता बतौर सीएम अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ लेगा। संभावना है कि यह शपथ समारोह काफी महंगा होगा। इस समारोह की सजावट, माइक और साज-सज्जा आदि पर ही लाखों रुपए खर्च हो जाएंगे, लेकिन पेंच यहीं से शुरू हुआ है। दरअसल समारोह के बीच शपथ के बाद सब अपने- अपने रास्ते…. बचता है तो टेंट, लाइट, माइक और मंच समेटने वाला… जिसकी सुध पिछले 15 साल से न तो सरकार ले रही हैं और न प्रशासन ।

आपको बता दें कि साल 2008, 2013 और 2018 के शपथ समारोह की विद्युत सज्जा और अन्य सजावट के खर्च का भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है। इन तीनों शपथ समारोहों की साज सज्जा के 77 लाख 28 हजार 58 रुपए अभी भी बकाया हैं। इस काम का जिम्मा उठाने वाली कंपनी आकाश रेडियो कंपनी हर स्तर पर अपनी अर्जी लगा चुकी है, मगर हुआ अब तक कुछ नहीं ।

2008 से 2018 तक के शपथ समारोह के साज-सज्जा का बिल

  1. कलेक्टर कार्यालय भोपाल की ओर से मप्र सामान्य प्रशासन विभाग को लिखे गए पत्र में खुलासा हुआ है कि 2008 में मुख्यंमंत्री के शपथ समारोह में 26 लाख 65 हजार 952 रुपए की साज सज्जा की गई ।
  2. वहीं 2013 में मुख्यमंत्री के शपथ समारोह में 25 लाख 78 हजार 619 रुपए साज सज्जा का बिल बना ।
  3. 2018 में सीएम के शपथ समारोह का विद्युत और अन्य साज सज्जा का बिल 4 लाख 83 हजार 488 रुपए था। तीनों शपथ समारोह की साज सज्जा की कुल राशि ७७ लाख 28 हजार 58 रुपए होती है ।

कब किसने ली थी सीएम पद की शपथ

2008 और 2013 में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सीएम पद की शपथ ली थी। वहीं 2018 में कमलनाथ सीएम बने थे, लेकिन कमलनाथ का कार्यकाल 17 दिसंबर 2018 से 20 मार्च 2020 तक ही रहा। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान फिर सीएम बन गए। सीएम के शपथ समारोह के बिजली बिल का भुगतान नहीं होना हैरान करने वाला मामला है।

चौथी शपथ की तैयारियों के बीच में उठा यह मुद्दा

अब जबकि चौथी बार सरकार शपथ लेने जा रही है, तब प्रशासन ने पुरानी फाइलें खंगाली तो पूरा मामला उजागर हुआ कि खाए-पिए खिसके वाला काम हुआ है। आखिर अपर कलेक्टर भोपाल ने इस मामले को संज्ञान में लिया और आकाश रेडियोज के भुगतान का पत्र लिखा।

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