रोजाना नए इतिहास बनाने वाली भारतीय टीम के पूर्व कप्तान Sourav Ganguly आज 52 साल के हो गए है। क्रिकेट के दादा, बंगाल टाइगर, प्रिंस ऑफ़ कोलकत्ता और गॉड ऑफ़ आउटसाइड के नाम से विख्यात सौरव गांगुली का जन्म पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की बिलेहा में 1972 में हुआ था। यह कोलकाता की एक रईस परिवार से तालुकात रखते हैं। यह घर के सबसे छोटे बेटे है।
बचपन से ही इन्हें फुटबॉल खेलने का शौक था। गांगुली ने अपने करियर की शुरुआत स्कूल से ही की थी । गांगुली एक दिवसीय मैचों में सबसे अधिक रन बनाने वाले दुनिया के 5 वें और सचिन तेंदुलकर के बाद भारत में दूसरे खिलाड़ी है । सौरव 2002 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी रह चुके है । इन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
आईए जानते हैं गांगुली के जीवन से जुड़े कुछ अजब-गजब किस्से
sourav ganguly
करियर की शुरुआत में रैगिंग के शिकार हुए थे सौरव
Sourav Ganguly के करियर का वह शुरुआती दौर था। जब ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 1991-92 में संजय मांजरेकर ने उन्हें बुरी तरह फटकार लगाई थी। दरअसल ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर लगभग हर बल्लेबाज फेल हो रहा था। पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के बाद देश भर में मुंबई के संजय मांजरेकर एक सफल बल्लेबाज के तौर पर उभर चुके थे । लेकिन ऑस्ट्रेलिया के मैच में उनकी छवि भी खराब कर दी। जिसकी भड़ास उन्होंने नई-नई टीम में आए सौरव गांगुली पर निकाल दी। सौरव यह सोचते रहे कि आखिर उन्होंने ऐसा क्या किया। जिस कारण उन्हें डाट पड़ी। इस पूरी कहानी को गांगुली ने अपनी बायोग्राफी इज सेंचुरी इज नॉट इनफ में लिखी है ।
तेंदुलकर से थी खास दोस्ती
सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली दोनों ही हम उम्र क्रिकेटर्स थे। जब सौरव गांगुली नए- नए क्रिकेट टीम में आए थे तो उन्हें उसे समय के कप्तान दिलीप वेंगसकर का रूममेट बनाया गया । कप्तान दिलीप से काफी छोटा होने के कारण उनके सामने सौरभ अपने मन की बात नहीं कह पाते थे । जिस कारण सौरव गांगुली अक्सर सचिन तेंदुलकर के रूम में ही पाए जाते थे उनके साथ अच्छा वक्त गुजारते थे। और इसी दौरान दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई थी ।
Sourav Ganguly ने तैयार की थी वर्तमान भारतीय टीम की नींव
सौरव गांगुली को जब भारतीय टीम की कप्तानी मिली और समय वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, युवराज सिंह और एस धोनी ने बस भारतीय टीम में कदम ही रखा था। ऐसे में सौरव गांगुली के साथ विश्वास इन क्रिकेटर्स को सुपरस्टार बनाया। वीरेंद्र सहवाग कई बार अपनी इंटरव्यू में यह कहते आए हैं कि दादा के कारण ही वह ओपनिंग बल्लेबाज बन पाए और महेंद्र सिंह धोनी तीसरे नंबर पर खेलने वाले सफल खिलाड़ी के तौर पर उभरे। दादा की कप्तानी में ही उन्होंने ही भारतीय टीम को जीतना सीखा है।
टी-शर्ट उतार कर चुकाया बदला
भारतीय टीम के दादा सौरव गांगुली की दादागिरी 2002 में देखी गई। जब उन्होंने अंग्रेजी क्रिकेटर फ्लिंटॉफ को जवाब देने के लिए क्रिकेट का मक्का के जाने वाले ऐतिहासिक लार्डस मैदान पर जीत हासिल की। अपनी कप्तानी में जीते गए इस एतिहासिक जीत के बाद सौरव ने टी-शर्ट उतार कर हवा में लहराया। दरअसल 3 फरवरी 2002 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत पर जीत हासिल करने के बाद के क्रिकेटर फ्लिंटॉफ ने टी-शर्ट उतार कर मैदान में उड़ाया था। जिसका जवाब उन्हीं के घर पर जाकर सौरव गांगुली ने 13 जनवरी 2002 को दिया। मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह की जादुई परी के बाद भारत ने फाइनल में जीत गया । जिसके बाद गांगुली ने बालकनी से शर्ट उतार कर लहराया। हालांकि अपनी बायोग्राफी सौरव ने इस घटना पर लिखा है कि जीत को सेलिब्रेट करने के और भी कई सही तरीके हो सकते थे ।
Sourav Ganguly कई बार अपनी गलतियों के कारण विवादों में भी रहे साथ ही इनके शानदार बल्लेबाजी और नीडर कप्तानी ने भारत को कई मैडेल भी दिलाए। आपको कैसे लगते है सौरव गांगुली कमेंट में बताए।