फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने के आरोप में दो और लोगों को लिया हिरासत में, व्यवसायिक नंबर का उठाया लाभ
क्राइम ब्रांच भोपाल ने दो अतिरिक्त आयुष्मान योजना हितग्राही बनाने वाले गिरोह के सदस्यों को हिरासत में लिया है. पुलिस द्वारा पहले की गई गिरफ्तारी में एक निजी कंपनी का एक पूर्व कर्मचारी शामिल था। पुलिस के मुताबिक, प्रत्येक आरोपी ने करीब 400 कार्ड बनाने के लिए 200 रुपये दिए. चार साल पहले कंपनी द्वारा नियुक्त किए जाने के दौरान, प्रतिवादी को मुख्य प्रतिवादी अनुराग से मिलने का अवसर मिला। पुलिस फिलहाल उन लोगों के इलाज की जांच कर रही है जिनके कार्ड बनाए गए थे। आगे की जांच के लिए क्राइम ब्रांच द्वारा एसआईटी का गठन किया गया है।
एडिशनल डीसीपी शैलेंद्र सिंह के मुताबिक ग्वालियर बाईपास जिला शिवपुरी में नमो नगर कॉलोनी निवासी शिवकुमार श्रीवास्तव को अपात्र हितग्राहियों के आयुष्मान योजना के कार्ड बनाने के आरोप में क्राइम ब्रांच भोपाल ने एक मार्च को हिरासत में लिया था. अनुराग श्रीवास्तव (39) इसी मोहल्ले के रहने वाले हैं। जिन्होंने पात्र नहीं होने वाले 500 आयुष्मान योजना हितग्राहियों के कार्ड बनाने की सहमति दी थी। राशिद खान का 28 वर्षीय पुत्र और किरमानी वार्ड नंबर 1 निवासी राहत खान का उल्लेख अनुराग ने गिरोह के अन्य सदस्यों में से एक के रूप में पूछताछ के दौरान किया था। जिसे उसके घर पर हिरासत में ले लिया गया।
एक कार्ड का लिया 200 रुपए
राहत खान मंगावली के सिविल अस्पताल में आयुष्मान मित्र के पद पर काम करता था। 4 साल पहले उसकी मुलाकात अनुराग श्रीवास्तव से हुई। अनुराग आयुष्मान में जिला कार्डिनेटर था। इसके बाद अनुराग को VIDAL कंपनी से हटा दिया गया। लेकिन अनुराग के नंबर पर कार्ड अप्रूव करने का ओटीपी आता रहा। तो अनुराग ने राहत से कहा मेरे पास ओटीपी आ रहा है, अपात्र हितग्राहियों के बारे में बताओ। इस पर राहत ने करीब 200 अपात्र कार्ड दिए। जिसके एवज में राहत आवेदक से 200 रुपए लेता था। जिसमें से 100 अनुराग को देता था।
सीएचसी केंद्र के प्रबंधक प्रकाश हैं। कार्ड बनाते समय इसका सामना अनुराग से हो गया। जब भी अनुराग को समस्या होती, प्रकाश केवाईसी और ओटीपी के लिए अनुराग से बात करता। अनुराग ने इससे भी कार्ड बनवाने वालों से संपर्क करवाने के लिए कहा था। कार्ड बनाने के विकल्प के तौर पर प्रकाश ने 200 रुपए भी स्वीकार किए। करीब 200 कार्ड भी बनाए गए हैं।
क्या है VIDAL कंपनी?
आयुष्मान निरामय योजना के तहत कार्ड बनाया गया। जिसके अनुसार एक परिवार को हर साल सरकारी और निजी अस्पतालों में अधिकतम 5 लाख। रुपये तक मुफ्त इलाज मिलता है। कार्ड बनाने के लिए सरकार ने VIDAL और FHPL को ठेके दिए हैं। जो सत्यापन के बाद कार्ड बनाने की अनुमति देता है। राज्य स्वास्थ्य एजेंसी (SHA) कार्ड आवेदन प्राप्त करती है जिसे संगठन अस्वीकार करता है। जो जांच के बाद आवेदक को अनुमति देता है। यदि यह स्वीकार नहीं किया जाता है तो आवेदन को ठुकरा दिया जाता है। SHA के लिए पांच-पांच लॉगिन आईडी VIDAL और FHPL कंपनियों को मुहैया कराए गए थे। जिसका इस्तेमाल आरोपी फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने में करते थे।