उज्जैन: एकमात्र शक्तिपीठ हरिसिद्धि मंदिर में 1051 दीपकों से होती है माता की भव्य आरती
पंडित रामचंद्र गिरि की मान्यताओं के अनुसार, देवी हरसिद्धि सम्राट विक्रमादित्य की दिव्य देवी के रूप में पूजनीय हैं। यह उल्लेख किया जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य देवी का आशीर्वाद लेने के लिए प्रतिदिन मंदिर जाते थे। यह वर्णन आमतौर पर कथाओं में मिलता है।
महाकाल वन स्थित 51 शक्तिपीठों के दरबार में प्रतिदिन शाम को 1051 दीपों से माता हरसिद्धि की पूजा की जाती है। नवरात्रि उत्सव के दौरान, देश भर से श्रद्धालु यहाँ श्रद्धेय माँ का आशीर्वाद लेने आते हैं। हर सिद्धि मंदिर में पूजा और आरती अन्य मातृ मंदिरों से अलग अनूठी परंपराओं का पालन करती है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के आसपास का क्षेत्र प्राचीन काल से महाकाल वन के रूप में जाना जाता है। महाकाल वन क्षेत्र भगवान शिव और स्त्री शक्ति के असाधारण समामेलन के लिए प्रसिद्ध है। 51 शक्तिपीठों में से एक माता हरसिद्धि का दरबार महाकालेश्वर मंदिर के ठीक पीछे स्थित है। माता हरसिद्धि के मंदिर में नवरात्रि पर्व के दौरान विशेष प्रकार की पूजा-अर्चना की जाती है।
क्या है एक्सपर्ट्स का इनपुट?
हर सिद्धि मंदिर के पुजारी पंडित रामचंद्र गिरि के अनुसार माता हर सिद्धि के कपाट ब्रह्म मुहूर्त में खुलते हैं। तत्पश्चात, दूध, दही, शहद, चीनी, जल, आदि जैसे प्रसाद का उपयोग करके पंचामृत पूजा और अभिषेक किया जाता है। इसके बाद, मंदिर को आम जनता के लिए दर्शन के लिए खोल दिया जाता है, जिसे सोलह प्रकार के अलंकरणों से सजाया जाता है। मंदिर परिसर में 1051 दीपक हैं। आरती के पाठ के दौरान इसे रोशन किया जाता है। पंडित रामचंद्र गिरी के अनुसार उज्जैन में माता की कोहनी गिरी थी। तत्पश्चात इसी स्थान पर शक्तिपीठ की स्थापना हुई।
सम्राट विक्रमादित्य की पूजनीय देवी कोई और नहीं बल्कि देवी हरसिद्धि हैं।
मां हरसिद्धि सम्राट विक्रमादित्य की प्रिय देवी के रूप में पूजनीय हैं। पंडित रामचंद्र गिरी के अनुसार सम्राट विक्रमादित्य हर दिन मां हरसिद्धि का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर आते थे। विभिन्न आख्यानों में भी इसका वर्णन मिलता है। नवरात्रि पर्व के दौरान जो भक्त मां के दरबार में अपनी भक्ति अर्पित करते हैं उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
श्रद्धांजलि देने दिल्ली आए रामेंद्र सिंह ने खुलासा किया कि वह हर साल नवरात्रि में माता हरसिद्धि का आशीर्वाद लेने आते हैं। यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। इंदौर से माता का आशीर्वाद लेने आई संगीता सिंह के अनुसार, माता का नाम लेने वालों को देवी सफलता दिलाने वाली मानी जाती हैं। माता हरसिद्धि के दरबार में सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। माता हरसिद्धि के दरबार में पहुंचीं राज्यश्री ने कहा कि नवरात्रि में ही नहीं, यहां हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
माता हरसिद्धि मंदिर का श्रद्धेय तीर्थ स्थल आगंतुकों को नव दुर्गा की पवित्र देवी से आशीर्वाद लेने का अवसर प्रदान करता है।
पंडित राजू गोस्वामी के अनुसार, हर सिद्धि मंदिर में माता हर सिद्धि मुख्य देवता हैं, जहां आगंतुक एक साथ दुर्गा के सभी नौ रूपों के दर्शन कर सकते हैं। इनके अतिरिक्त इनके ऊपर माता अन्नपूर्णा भी चित्रित हैं, जबकि नीचे माता कालिका के दर्शन उपलब्ध हैं। माता कालिका के चारों ओर छह अन्य देवियां हैं। इस प्रकार देवी नवदुर्गा का आशीर्वाद उनके सिद्धि मंदिर में प्राप्त किया जा सकता है।