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Health: पेट का अस्वस्थ रहना बन सकता हैं कई बड़ी  बीमारियों का घर, जानिए कैसे रखेंगे पेट को स्वस्थ

पेट को हेल्दी रखने से कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। हम जो कुछ खाते-पीते हैं उसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। इस चलते खानपान पर खास ध्यान देने की आवश्यक्ता होती है।

सेहत: एक अच्छा पाचन तंत्र ही अच्छी सेहत का राज है। पेट में कुछ गड़बड़ी हुई नहीं कि कोई न कोई समस्या शरीर को घेर लेती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम खाने से ही ऊर्जा प्राप्त करते हैं और उसी ऊर्जा की मदद से बाक़ी के काम करते हैं। लेकिन जब पेट का स्वास्थ्य ही गड़बड़ होगा तो ऊर्जा का संतुलन बिगड़ जाएगा जिससे शरीर को बाक़ी कार्य करने में परेशानी होगी। इसी परेशानी से निपटाने लिए आप सहारा ले सकते हैं आयुर्वेद का, जिसकी मदद से आप इन समस्याओं से प्राकृतिक और प्रभावी तरीक़े से राहत पा सकते हैं। जानिए वे उपाय क्या हैं…

खाने की आदतों में सुधार करें

आयुर्वेद संतुलित खानपान पर ज़ोर देता है जो आपके दोष (वात, पित्त और कफ) के अनुसार होता है। इसलिए अपने भोजन का चुनाव दोष को समझकर ही किया जा सकता है। इसके लिए किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श करें और अपने दोष का पता करें। साथ ही भोजन का चुनाव भी फिर उसी के अनुसार कर सकते हैं।

नियमित समय पर भोजन करना पाचन को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है। इसलिए भोजन छोड़ने या अनियमित खाने की आदतों से बचें।धीरे-धीरे और भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाएं ताकि पाचन बेहतर हो।

अदरक, जीरा, धनिया, सौंफ और हल्दी जैसे मसालों का सेवन करें क्योंकि ये मसाले पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करते हैं।

प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स खाद्यों का चुनाव

प्रोबायोटिक्स और प्रीबायोटिक्स का सेवन आंत के बैक्टीरिया को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने के साथ प्रतिरक्षा और समग्र स्वास्थ्य के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसलिए इनका सेवन ज़रूर करें।

प्रीबायोटिक्स खाद्य पदार्थ

अदरक, पपीता, लहसुन, प्याज़, केला और शतावरी जैसे प्रीबायोटिक्स खाएं ताकि आंतों में मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया को पोषण दिया जा सके।

प्रोबायोटिक्स खाद्य पदार्थ

दही, मट्ठा, और अचार जैसे किण्वित खाद्य पदार्थ इसमें आते हैं जो पाचन और प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने में मदद करते हैं।

अपनाएं ये आदतें

योग और श्वास व्यायाम (प्राणायाम) का नियमित अभ्यास करने से पाचन बेहतर होता है। इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मज़बूत होती है।पर्याप्त और सही समय पर ली गई नींद शरीर की मरम्मत और पुनर्जनन प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें स्वस्थ आंत बनाए रखना शामिल है।तनाव आंत की सेहत को प्रभावित करता है। इसलिए इससे राहत पाने के लिए प्रकृति में समय बिताएं। ध्यान व माइंडफुलनेस का भी अभ्यास करें।काम आएंगे ये हर्बल उपचारआयुर्वेद में विभिन्न जड़ी-बूटियों का उपयोग पेट की सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के अलावा कुछ उपाय भी आज़मा सकते हैं।

त्रिफला…

त्रिफला तीन फलों (आंवला, बिभीतकी, और हरितकी) के मिश्रण को कहते है। ये कोलन की सफ़ाई और पाचन में काफ़ी मददगार होता है।

नीम और तुलसी…

इनमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं जो प्रतिरक्षा कार्य प्रणाली के साथ ही आंत की सेहत को भी मज़बूत बनाते हैं।

अश्वगंधा…

ये एक जड़ी-बूटी है जो तनाव को कम करती है।

जीरा-धनिया-सौंफ चाय

यह पारंपरिक आयुर्वेदिक मिश्रण पाचन को मज़बूत बनाता है, सूजन को कम करता है और शरीर को अंदर से साफ़ करता है।

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