मध्यप्रदेश के दतिया जिले के एक सरकारी प्राथमिक स्कूल में मिड-डे मील के तहत बच्चों को खराब आटे से बनी रोटियां दी जा रही थीं। बच्चों ने जनशिक्षक को शिकायत की कि रोटियों से दुर्गंध आ रही है और खाने के बाद उन्हें उल्टी जैसा महसूस हो रहा है। यह शिकायत सोमवार, 28 अप्रैल को की गई, जिसके बाद जनशिक्षक नीरज श्रीवास्तव ने सैंपल लेकर जांच के निर्देश दिए।
बच्चों की शिकायत पर तत्काल कार्रवाई
निरीक्षण के दौरान बच्चों ने जनशिक्षक को बताया कि रोटियों से निकल रही दुर्गंध के कारण उन्हें उल्टी जैसा मन हो रहा है। इसके बाद जनशिक्षक ने मौके पर ही आटे और रोटियों की स्थिति का निरीक्षण किया और इस पर तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने सैंपल लेकर फूड टेस्टिंग के लिए भेजे।
रसोइयों ने पहले ही की थी शिकायत
स्कूल के रसोइयों ने भी पहले ही शिकायत की थी कि गेहूं खराब है, जिससे आटा गूंथते समय तेज बदबू आ रही है। उन्होंने इस संबंध में समूह अध्यक्ष को जानकारी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। रसोइयों के अनुसार, खराब गेहूं का इस्तेमाल करने से रोटियों की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा था।
खराब आटे का उपयोग रोकने के निर्देश
जनशिक्षक ने निरीक्षण के बाद स्पष्ट निर्देश दिए कि स्कूल में खराब आटे का उपयोग तुरंत बंद किया जाए। साथ ही, उन्होंने इस मामले की जानकारी बीआरसीसी अखिलेश राजपूत को दी और सैंपल को जिला पंचायत के टास्क मैनेजर के माध्यम से फूड टेस्टिंग के लिए भेजे गए।
लंबे समय से खराब रोटियां दी जा रही थीं

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बच्चों को लंबे समय से खराब आटे की रोटियां दी जा रही थीं। कई बार बच्चों ने शिकायत की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। यह मामला गंभीर है और यह सवाल उठता है कि रसोइयों द्वारा शिकायत करने के बावजूद बच्चों को खराब रोटियां देने के लिए किसने बाध्य किया।
आखिरकार कार्रवाई पर सवाल
इस मामले में अब सवाल यह उठता है कि जब रसोइयों ने कई बार शिकायत की थी तो फिर बच्चों को खराब रोटियां क्यों दी जा रही थीं। यह भी पूछा जा रहा है कि कौन जिम्मेदार था, जिसने रसोइयों की शिकायतों को नजरअंदाज किया और खराब आटे से रोटियां बनाने की अनुमति दी।
इस गंभीर मामले पर जांच की जा रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, बच्चों के स्वास्थ्य और मिड-डे मील की गुणवत्ता पर अब अधिक ध्यान देने की जरूरत है ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हों।