तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने मध्य प्रदेश सरकार से मांग की है कि राज्य के सभी विभागों में पदोन्नति प्रक्रिया शुरू की जाए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन को लेकर प्रकरण लंबित होने के बावजूद लॉ एंड लेजिस्लेटिव अफेयर्स डिपार्टमेंट में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को पदोन्नति दी गई है। इसी तरह का निर्णय अन्य विभागों में भी लागू किया जाना चाहिए।
8 साल से रुकी है प्रमोशन प्रक्रिया
उमाशंकर तिवारी ने बताया कि एमपी शासन द्वारा साल 2016 से प्रमोशन पर रोक लगाई हुई है। इसके कारण लगभग 1 लाख से अधिक कर्मचारी और अधिकारी रिटायर्ड हो गए, लेकिन उन्हें प्रमोशन का लाभ नहीं मिल सका।
उन्होंने कहा, ‘कर्मचारियों को समय-समय पर प्रमोशन मिलने से न सिर्फ उनके पदनाम में वृद्धि होती है, बल्कि आर्थिक लाभ और अधिकार भी प्राप्त होते हैं। इससे कर्मचारियों की कार्य कुशलता और सम्मान में बढ़ोतरी होती है।
विधि विभाग में पदोन्नति का उदाहरण
संगठन का कहना है कि मध्य प्रदेश शासन के लॉ डिपार्टमेंट में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित होने के बावजूद तृतीय श्रेणी के 48 और चतुर्थ श्रेणी के 30 कर्मचारियों को पदोन्नति प्रदान की गई है।
इसी तरह का निर्णय शासन के अन्य विभागों में भी लागू किया जाना चाहिए। तिवारी ने कहा कि इससे पहले पशुपालन विभाग में भी पदोन्नति दी गई है।
सरकार से मांग
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि विधि और विधायी विभाग की तर्ज पर अन्य विभागों में प्रमोशन प्रक्रिया शुरू की जाए। उन्होंने कहा कि 8 साल से रुकी पदोन्नतियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर शीघ्र लागू किया जाना चाहिए।
उमाशंकर तिवारी ने कहा, ‘प्रमोशन नहीं मिलने से कर्मचारियों का मनोबल गिर रहा है और उनकी कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। ऐसे में सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।’